Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

होली की मस्ती के रंगीले-सजीले रूप

होली : धूम-धड़ाका और धमाल का पर्व

हमें फॉलो करें होली की मस्ती के रंगीले-सजीले रूप
- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

FILE


उत्तरप्रदेश और बिहार में होली की हुड़दंग का जोरदार मजा रहता है। इसे वहां फाग या फागु पूर्णिमा कहते हैं, लेकिन विश्वविख्यात है बसराने की होली।

हरियाणा में धुलेंडी मनाई जाती है तो पूरे पंजाब में होली को होला-मोहल्ला नाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में रंगपंचमी के दिन हुड़दंग रहती है तो कोंकण में इसे शमिगो नाम से मनाया जाता है। बंगाल में इसे वसंतोत्सव कहा जाता है तो तमिलनाडु में इसे कमन पोंडिगई कहते हैं। नाम कुछ भी हो लेकिन पूरे देश में होली की हुड़दंग से विदेशी भी खासे प्रभावित होकर यहां चले आते हैं।


webdunia
FILE


होली की कथा :

नंद के गांव नंदगांव में भगवान कृष्ण खूब उधम मचाते थे। सिर्फ छह किलोमीटर दूर पास ही के गांव बरसाना में उनकी प्रेमिका राधा रहती थी। अकसर वे वहां अपने दोस्तों के साथ चुपके से जाते थे और यमुना में स्नान कर रही राधा सहित अन्य गोपियों को छेड़ते थे।

एक दिन सभी गोपियों ने मिलकर उन्हें पकड़ लिया और उनकी खूब धुनाई की। धुनाई के बाद गोपियों ने महिलाओं के कपड़े पहनाकर उन्हें नचाया। तब पहली बार कृष्ण बने थे 'गोप'। बस इसी की याद में आज भी नंदगांव और बरसाना में इसी तरह होली मनाई जाती है।

webdunia
FILE


होलिका दहन :

हिरण्यकशिपु अपनी शक्ति के बल पर स्वयं को ईश्वर मानता था। हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकशिपु कहता था कि विष्णु नहीं मेरी भक्ति करो। इसी तरह उसने पूरे राज्य पर किसी और को पूजने पर पाबंदी लगा दी थी।

लेकिन प्रहलाद अपनी विष्णु भक्ति पर अडिग रहे। यह जिद देखकर हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि इस दुष्ट बालक को मार दिया जाए। प्रहलाद को मारने के जब सारे उपाय असफल हो गए तब हिरण्यकशिपु ने उसकी बहन होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं होगी। लेकिन आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, विष्णु भक्त प्रहलाद बच गए। इस घटना की याद में इसी दिन होली जलाई जाती है।

कहते हैं कि इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था, इस कारण इसे मन्वादितिथि कहते हैं। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।

webdunia
FILE


धुलेंडी और रंग पंचमी :
होलिका दहन के बाद धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है।

webdunia
FILE


ब्रज की होली :
ब्रज में रंगों के त्योहार होली की शुरुआत वसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है। इसी दिन होली का डांडा गढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधारानी को 56 भोग का प्रसाद लगता है। अष्टमी के दिन नंदगांव व बरसाने का एक-एक व्यक्ति गांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है।

नवमी के दिन जोरदार तरीके से होली की हुड़दंग मचती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते छह किलोमीटर दूर बरसाने पहुंचते हैं। इनका पहला पड़ाव पीली पोखर पर होता है। इसके बाद सभी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। दशमी के दिन इसी प्रकार की होली नंदगांव में होती है।


webdunia
FILE


बरसाने की होली :
फाल्गुन मास की नवमी से ही पूरा ब्रज रंगीला हो जाता है, लेकिन विश्वविख्‍यात बरसाने की लट्ठमार होली जिसे होरी कहा जाता है, इसकी धूम तो देखने लायक ही रहती है। देश-विदेश से लोग इसे देखने आते हैं। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई थी।

इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं।

इस दौरान पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती। वे महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर श्रृंगार इत्यादि करके सामूहिक रूप से नचाया जाता है।

राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है




हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi