होलाष्टक 2 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। प्राचीन मान्यता अनुसार इस अवधि में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है। इस नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को समाप्त करने के लिए ही होलिका का निर्माण किया जाता है। विशेषकर गाय के गोबर से निर्मित शुद्ध कंडों से होली का दहन किया जाए तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है।
होलाष्टक कब से कब तक
होलाष्टक होली से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 02 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी होलिका दहन तक रहेगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। होलाष्टक के 8 दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है।
इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। होलाष्टक में तिथियों की गणना की जाती है। मतांतर से इस बार होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ होकर 09 मार्च को समाप्त माना जा रहा है, ऐसे में यह कुल 7 दिनों का हुआ।
लेकिन तिथियों को ध्यान में रखकर गणना की जाए तो यह अष्टमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक है, ऐसे में दिनों की संख्या 8 होती है। ज्यादातर विद्वान इसे भानु सप्तमी 2 मार्च से आरंभ मान रहे हैं। इन 13 कार्यों को कर आप समस्त दोषों से बच सकते हैं।
1. इस अवधि में मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन,जप,तप,स्वाध्याय व वैदिक अनुष्ठान करना चाहिए। ताकि समस्त कष्ट, विघ्न व संतापों का क्षय हो सके।
2. यदि शरीर में कोई असाध्य रोग हो जिसका उपचार के बाद भी लाभ नहीं हो रहा हो तो रोगी भगवान शिव का पूजन करें। योग्य वैदिक ब्राह्मण द्वारा महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान प्रारम्भ करवाएं,बाद में गूगल से हवन करें।
3. लड्डू गोपाल का पूजन कर संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ करवा कर अंत में शुद्ध घी व मिश्री से हवन करें त ो शीघ्र संतान प्राप्ति होती है।
4. लक्ष्मी प्राप्ति व ऋण मुक्ति हेतु श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करवाएं।
5. कमल गट्टे,साबूदाने की खीर से हवन करें।
6. विजय प्राप्ति हेतु-आदित्यहृदय स्त्रोत,सुंदरकांड का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करें।
7. अपार धन-संपदा के लिए गुड़,कनेर के पुष्प, हल्दी की गांठ व पीली सरसों से हवन करें।
8. परिवार की समृद्धि हेतु-रामरक्षास्तोत्र ,हनुमान चालीसा व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
9 . करियर में चमकदार सफलता के लिए जौ, तिल व शकर से हवन करें।
10. कन्या के विवाह हेतु-कात्यायनी मंत्रों का इन दिनों जाप करें।
11. सौभाग्य की प्राप्ति के लिए चावल,घी, केसर से हवन करें।
12. बच्चों का पढाई में मन नहीं लग रहा है तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। मोदक व दूर्वा से हवन करें।
13. नवग्रह की कृपा प्राप्ति हेतु भगवान शिव का पंचामृत अभिषेक करें।
उक्त अनुष्ठानों को योग्य वैदिक ब्राह्मण के द्वारा ही संपादित कर होलिका दहन के पश्चात उसी स्थान पर हवन कर अनुष्ठान की पूर्णाहुति करें यदि होलिका दहन के स्थान पर हवन करना संभव न हो तो होली में प्रज्वलित अग्नि का कंडा घर ला कर उसमें भी हवन कर सकते हैं।