होली के आठ दिन पहले से शुभ कार्य जैसे शादी विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ-हवन, सगाई, मुंडन-संस्कार और भी अन्य शुभ कार्य निषेध माने गए हैं...। होलाष्टक कुछ ही क्षेत्रों में मान्य है। कहां पर होलाष्टक मान्य है और कहां पर नहीं जानिए-
होलाष्टक किस क्षेत्र में मान्य है, प्रमाण देखिए-
विपाशा (व्यास), इरावती (रावी), शुतुद्री (सतलज) नदियों के निकटवर्ती दोनों ओर स्थित नगर, ग्राम, क्षेत्र में तथा त्रिपुष्कर (पुष्कर) क्षेत्र में होलाष्टक दोष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका दहन) तिथि के आठ दिन पूर्व में विवाह, यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्य वर्जित हैं।
इस प्रकार लगभग संपूर्ण पंजाब प्रांत में हिमांचल प्रदेश का कुछ भू-भाग तथा राजस्थान में अजमेर (पुष्कर) के समीपवर्ती आसपास के स्थानों (संपूर्ण राजस्थान नहीं) में ही विशेष सावधानी के लिए होलाष्टक दोष को मानना शास्त्र सम्मत है।
देश के अन्य शेष भू-भागों में होलाष्टक दोष विचार का नियम लागू नहीं करना चाहिए, ऐसा शास्त्र सम्मत निर्णय है।
'विपाशैरावतीतीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे।
विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्।।'
मुहूर्त चूड़ामणि के श्लोक नंबर 40 में भी उल्लेख है।
ऐरावत्यां विपाशायां शतद्रौ पुष्करत्रये।
होलिका प्राग्दिनान्यष्टौ विवाहादौ शुभे त्यजेत्।।
(मुहूर्त गणपति श्लोक सं. 204)