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रंगपंचमी पर होगा होली का समापन, ध्यान रखें इन बातों का...

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राजश्री कासलीवाल

* रंगपंचमी पर फाग यात्रा में हुरियारे होंगे शामिल, खूब उड़ेगा रंग-गुलाल
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंगपंचमी मनाने के पीछे आध्यात्मिक मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खेले जाने वाले रंग और गुलाल हमारे सात्विक गुणों को बढ़ाते हैं और अवगुणों का नाश करते हैं। रंगपंचमी त्योहार की यह भी मान्यता है कि इस दिन जब रंगों को जब एक-दूसरे को लगाया जाता है और गुलाल को हवा में उड़ाया जाता है, तो देवी-देवता आकर्षित होते हैं और बुरी शक्तियों का नाश होता है।

 
इसी उद्देश्य से सभी का पसंदीदा यह त्योहार भारत के हर राज्य एवं हर स्थान पर मनाने की एक अलग ही परंपरा है। इसमें कुछ स्थानों पर होली के 5वें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के कई स्थानों पर होली से भी ज्यादा रंगपंचमी (Ranga Panchami) पर रंग खेलने की परंपरा है। कई जगहों पर धुलेंडी पर गुलाल लगाकर होली खेली जाती है, तो रंगपंचमी पर अच्छे-खासे रंगों का प्रयोग कर रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

 
खासतौर पर मध्यप्रदेश में रंगपंचमी (होली, Holi, Ranga Panchami) खेलने की परंपरा काफी पौराणिक है। इस दिन मालवावासियों की रंगपंचमी की गेर की टोलियां सड़कों पर निकलती हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाकर इस त्योहार की खुशियां इजहार करती हैं। मालवा में इस दिन खासतौर पर जगह-जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं जिन्हें 'गेर' कहा जाता है। इसमें शस्त्रों का प्रदर्शन काफी महत्व रखता है, इसके साथ ही सड़कों पर युवा वर्ग हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए सबका मन मोह लेते हैं। इस दिन खासतौर पर पूरणपोळी या फिर श्रीखंड-पूरी का आनंद सभी उठाते हैं। 
 
रंगपंचमी के दिन इन रंगों की फुहार में भीगने के लिए न तो किसी को बुलावा दिया जाता है और न ही कोई किसी को रंग लगाता है। फिर भी हजारों हुरियारे हर साल रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर यात्रा (फाग) में शामिल होकर इस उत्सव में डूबते हैं और रंगों का त्योहार खुशी-खुशी मनाते हैं। इस गेर के जरिए बेटी बचाओ, पानी बचाओ, महिला सशक्तीकरण आंदोलन, रेप-बलात्कार से भारत को मुक्ति दिलाने वाले संदेशों पर जोर दिया जाएगा। इस गेर में महिलाओं की विशेष फाग यात्रा भी निकलती है।

 
यहां मनाए जाने वाली रंगपंचमी की गेर एक ऐसा रंगारंग कारवां है जिसमें बगैर भेदभाव के पूरा शहर शामिल होता है और जमीन से लेकर आसमान तक रंग ही रंग नजर आता है। होली का अंतिम दिन रंगपंचमी यानी होली पर्व के समापन का दिन माना जाता है। रंग-बिरंगी गेर के साथ इस त्योहार का समापन होता है। 
 
रंगपंचमी का त्योहार महाराष्ट्र में भी बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, इसके साथ ही गुजरात और मध्यप्रदेश में भी काफी आकर्षक तरीके से रंगपंचमी पर्व मनाने का चलन है। इस दिन पूरे शहर में जुलूस निकाला जाता है और नाच-गाने का कार्यक्रम होता है। इसके साथ ही रंगपंचमी पर कुछ बातों का ध्यान अवश्‍य रखा जाना चाहिए, आइए जानें...
 
रंगपंचमी के दिन ध्यान रखें इन बातों का...
 
* प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें, क्योंकि वे आसानी से साफ हो जाते हैं।
 
* रंगपंचमी पर गुब्बारों में पानी भरकर न खेलें। 
 
* रंगपंचमी पर सूखे रंगों का अधिक प्रयोग करें।

* घर के बाहर होली खेलें। घर में होली खेलने से घर गंदा होगा तथा उसे धोने में अतिरिक्त पानी खर्च होगा। 
 
* पुराने व गहरे रंगों वाले कपड़े पहनें ताकि आसानी से धोए जा सकें। 
 
* खेलने से पहले अपने बालों में तेल लगा लें। इसकी वजह से चाहे जितना भी रंग बालों में लगा हो, तब एक ही बार धोने पर निकल जाता है। 
 
* अपनी त्वचा पर भी कोई क्रीम या लोशन लगाकर बाहर निकलें, इससे आपकी त्वचा रासायनिक रंगों के प्रभाव से खराब नहीं होगी। 
 
* बालों में तेल और त्वचा पर क्रीम लगाना भूल भी गए हों तो होली खेलने के तुरंत बाद रंग लगी त्वचा और बालों पर थोड़ा सा नारियल तेल हल्का सा मलें, रंग निकलता जाएगा।

* जब होली खेलना पूरा हो जाए तभी नहाने जाएं। बार-बार नहाने से पानी बर्बाद होता है।

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