रंगों का यह त्योहार प्रमुख रूप से 5 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन लोग एक-दुसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है। होली के पांचवें दिन रंगपंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। 28 मार्च को होलिका दहन था, 29 मार्च को धुलेंडी और अब 2 अप्रैल 2021 को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। आओ जानने हैं कि रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है।
रंग पंचमी शुभ मुहूर्त
2 अप्रैल 2021 शुक्रवार
पंचमी तिथि प्रारंभ: 1 अप्रैल- 11:00 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 2 अप्रैल- 8:15 मिनट
1. चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी को खेली जाने वाली रंगपंचमी देवी देवताओं को समर्पित होती है। मान्यता है कि रंगपंचमी पर पवित्र मन से पूजा पाठ करने से देवी देवता स्वयं अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आते हैं और कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन पूजा पाठ से दूर किया जा सकता है।
2. कहते हैं कि इस दिन श्री कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्री राधारानी और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। रंगपंचमी में होली की तरह रंग खेले जाते हैं। इसमें राधा कृष्ण जी को भी अबीर गुलाल लगाया जाता है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं।
3. मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, इस दिन हवा में रंग और अबीर उड़ाने से वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क और जीवन पर पड़ता है। साथ ही इससे लोगों के बुरे कर्म और पाप आदि नष्ट हो जाते हैं।
4. यह भी कहते हैं कि यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। रंगपंचमी को धनदायक भी माना जाता है।
5. यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था। इसके अलावा इस दिन शोभा यात्राएं भी निकाली जाती है और होली की तरह देव होली के दिन भी लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं।
6. गोवा और महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन मछुआरों की बस्ती में खास आयोजन होता है। सबके लिए नाच-गाने से लेकर खाने-पीने तक के बंदोबस्त किए जाते हैं। इस दिन मछुआरे एक-दूसरे के घर पर मिलने जाते हैं और शादी तय करने के लिए इस दिन को सर्वोत्तम मानते हैं।