होलिका दहन और धुलेंडी को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति है। इसी कारण शासकीय अवकाश को लेकर भी मतभेद है। कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्रदोष काल में होलिका दहन होना चाहिए और 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि तो रहेगी लेकिन प्रदोष काल नहीं रहेगा। प्रदोष काल 6 मार्च को शाम को रहेगा। इसीलिए होलिका दहन भद्रा के पूर्व 6 मार्च को करना चाहिए। जबकि कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 7 मार्च को होलिका दहन होने को शास्त्र सम्मत बताया जा रहा है।
कहां कब होगा होलिका दहन :
6 मार्च : राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल, महाराष्ट्र, उत्तर पश्चिम मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, और केरल सहित वह स्थान जहां पर 7 मार्च को सूर्यास्त 6:09 बजे बाद होगा वहां पर 6 मार्च को होलिका दहन होगा।
7 मार्च : पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्यप्रदेश, उत्तर पूर्वी छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, असम सहित सभी पूर्वी प्रदेश जहां पर 7 मार्च को सूर्यास्त 6:09 से पूर्व होगा वहां पर 7 मार्च को होलिका दहन होगा।
7 मार्च वाले ज्योतिचार्य क्या कहते हैं?
शास्त्र मतानुसार ''भद्रान्ते होलिका दाहः" अर्थात भद्रा के उपरान्त ही होलिका दहन होना चाहिए। भद्रायाम् द्वै न कर्तव्या श्रावणी फाल्गुनी तथा:- अर्थात भद्रा में दो कार्य नहीं करना चाहिए श्रावणी (उपाकर्म, रक्षाबंधन) व फाल्गुनी (होलिका दहन)। भद्रा के पूंछ काल में होलिका दहन किया जा सकता है।
ज्ञात है कि भद्रा 6 मार्च सोमवार को दोपहर 3:57 मिनट के बाद 7 मार्च दिन सोमवार को प्रातः 4 बजकर 49 मिनट तक मृत्युलोक में रहेगी "मृत्यु लोके यदा भद्रा सर्व कार्य विनाशनम्।"
क्या कहते हैं 6 मार्च वाले ज्योतिषाचार्य?
होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के प्रदोष काल में होता है। 06 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि है लेकिन 7 को पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल नहीं रहेगा। अन्य मतानुसार पूर्णिमा तिथि दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन दहन किया जाता है। 06 मार्च को पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा भी शुरु हो जाएगी जो 07 मार्च सुबह 05:15 तक रहेगी। मान्यता अनुसार भद्रा में होलिका दहन नहीं होता है। लेकिन भद्रा के प्रारंभ होने के पूर्व या पश्चात होलिका दहन किया जा सकता है। उससे पूर्व होलिका पूजन करना उचित रहेगा।
धुलेंडी को लेकर शासकीय अवकाश?
- मध्यप्रदेश में भी धुलेंडी को लेकर मतभेद हैं। हालांकि धुलेंडी को लेकर शासकीय अवकाश 8 मार्च को बताया गया है। इसी कारण एमपी बोर्ड की कक्षा दसवीं की परीक्षा और विक्रम यूनिवर्सिटी में विभिन्न परीक्षाएं 7 मार्च को होनी है।
- परंतु ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित काल में होलिका दहन का विधान है, जो 6 मार्च को शास्त्र सम्मत है। वहीं महाकाल मंदिर में परम्परा अनुसार 6 मार्च को निशाकाल में 6:29 मिनट पर होलिका पूजन एवं दहन दोनों होगा।
- अन्य परंपरिक जगहों पर होलिका पूजन 6 मार्च शाम को एवं होलिका दहन अगले दिन 7 मार्च को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में किया जाएगा एवं धुलेंडी पर्व 7 मार्च मंगलवार को मनेगा।
- ऐसे में उज्जैन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार और यूनिवर्सिटी वाले आगे से नए आदेश की प्रतीक्षा में है, क्योंकि परीक्षाओं की तारीख जारी हो चुकी है, परंतु अब विद्यार्थी असमंजस में है। यदि शास्त्र सम्मत होलिका दहन और धुलेंडी पर्व में तारीख आगे पीछे हुई तो आखिर धुलेंडी वाले दिन परीक्षा स्थल तक कैसे पहुंचेंगे?
- खैर सोमवार का दिन विद्यार्थियों की असमंजसता को दूर करने के लिए काफी हो सकता है। अगर पर्व को देखते हुए परीक्षा तिथि के नए आदेश जारी किए जाए तो।