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जे.के.रोलिंगः जीवन के कुछ पन्ने...

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प्रियंका पांडेय

‘‘हमारे नए घर की गली में कई बच्चें रहते थे, जिनमें से एक भाई और उसकी बहन का सरनेम पॉटर था। मुझे हमेशा से ही उनका नाम बहुत अच्छा लगता था... इसलिए इस उपन्यास के किरदार हैरी का सरनेम सोचते वक्त मैंने रोलिंग के बजाय पॉटर रखना बेहतर समझा...’’
( जे.के. रोलिंग की डायरी के पन्नों के कुछ अंश)

हैरी पॉटर, यह नाम सिर्फ जे.के.रोलिंग का एक रचना ही नहीं, बल्कि आज इस लेखिका की एक पहचान बन चुका है... मगर इससे पहले भी उनके अतीत की कुछ ऐसी झलकियाँ है, जो इस चमक-दमक के बीच सुनहरी यादों की तरह है।

31 जुलाई, 1965 को पैदा हुई रोलिंग पीटर, जेम्स रोलिंग और ऐन्ने वोलेंट की संतान हैं। उनका जन्म इंग्लैंड के ग्लॉस्टरशायर शहर में हुआ था। वह केवल चार साल की थीं, जब उनका परिवार ग्लॉस्टरशायर से विंटरबॉर्न नामक गाँव में जाकर बस गया था। रोलिंग ने अपनी स्कूली शिक्षा इसी गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय से की थी। इसके बाद उन्होंने अपना स्नातक एक्सटर विश्वविद्यालय से पूरा किया, जहाँ उन्हें जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव देखने को मिलें।

इसके बाद रोलिंग पेरिस से फ्रेंच और क्लासिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन आ बसीं। ऐमनेस्टी इंटरनेशनल में बाइलिंग्वुल सेक्रेटरी के तौर पर कार्यभार संभालकर उन्होंने अपने परिवार का दायित्व संभाल लिया।

30 दिसंबर, 1990 को उन्होंने अपनी माँ को खो दिया और उनसे यह भी न कह सकीं कि उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि (हैरी पॉटर) पर काम शुरू कर दिया है। 1992 में विवाह करने के बाद उन्होंने अपने सपनों का संसार बसा लिया और साथ ही हैरी का संसार भी दिनोंदिन बढ़ने लगा।

अपने पिछले उपन्यासों और उन पर बनी फिल्मों के लिए रोलिंग ने इस कदर सफलता बटोरी की उनकी किताबों ने बेस्ट सेलर किताबों का अपना अलग ही इतिहास रचा। यहाँ तक कि 2000 में उन्हें महारानी एलिजाबेथ-2 से भी सम्मान प्राप्त किया है।

जे.के. रोलिंग की रचनाओं की बढ़ती लोकप्रियता उनके जीवन के आयामों को दिनोंदिन आकाश की ऊँचाइयों से ऊपर भी जगह बना रही है।

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