कान फिल्म फेस्टिवल से प्रज्ञा मिश्रा
ऐश्वर्या से पहले दीपिका पादुकोण दो दिन रेड कारपेट पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही थी, सोनम कपूर ने भी जलवे बिखेर दिए हैं।। बहुत मुमकिन है बाज़ार की मांग हो तो और भी कई हीरोइन रेड कारपेट की शोभा बढ़ाने पहुंचेंगीं। लेकिन असली झंडा बरदार तो वह लड़कियां, वह महिलाएं हैं जो अकेले न सिर्फ फिल्म बना रही हैं, फिल्म प्रोड्यूस कर रही हैं, और फिल्म फेस्टिवल की मूल वजह से जुडी हुई हैं।
आसाम की रीमा दास जो पिछले साल अपनी पहली फिल्म 'मैन विथ बायनाक्यूलर्स' के साथ कान फिल्म फेस्टिवल में आई थी, इस साल अपनी दूसरी फिल्म 'विलेज रॉकस्टार्स' के साथ मौजूद हैं। यह फिल्म रीमा ने अकेले ही गांव के लोगों को लेकर बनाईं है, डायरेक्शन से लेकर कैमरा संभालने का काम खुद ही किया है और इस फिल्म के लिए उन्हें हांगकांग और इटली के डेवलपिंग लैब ने एडिटिंग और फाइनल कट में मदद की है।
अंजलि भूषण हैं जो अजय देवगन की शिवाय में प्रोडक्शन टीम में थीं और अब अपनी खुद की फिल्म बनाने की तैयारी में हैं। नंदिता दास को किसी परिचय की जरूरत नहीं है लेकिन वह अपनी फिल्म मंटो (जो लगभग पूरी हो गई है) के साथ आई हैं।
रेड कॉरपेट पर भले ही इन लोगों की इतनी पूछ परख न हो लेकिन फेस्टिवल में यही लोग हैं जो भारत के नाम को दिए की बाती की तरह जिलाए हुए हैं।