Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कान फिल्म फेस्टिवल : नंदिता ने मंटो के बहाने टटोला सबका मन

हमें फॉलो करें कान फिल्म फेस्टिवल : नंदिता ने मंटो के बहाने टटोला सबका मन
webdunia

प्रज्ञा मिश्रा

कान फिल्म फेस्टिवल से प्रज्ञा मिश्रा

 2013 में कान फिल्म फेस्टिवल में नंदिता दास से मिलने का मौका मिला था, उस साल वो सिने फाउंडेशन की जूरी के रोल में यहाi थीं, और तब ही उन्होंने बताया था कि 'मंटो' पर कुछ काम करने का मन है। 2017 में नंदिता दास एक बार फिर कान फिल्म फेस्टिवल में मौजूद हैं। इस बार वह अपनी बन रही फिल्म 'मंटो' के कुछ दृश्य दिखा कर पानी की थाह ले रही हैं। .
 
22  मई की शाम मैजेस्टिक होटल के स्टूडियो में चुनिंदा लोगों के बीच नंदिता दास,अपनी टीम के साथ मौजूद थीं। फिल्म को नंदिता के साथ एचपी,  वायाकॉम ने प्रोड्यूस किया है, इसमें मंटो की भूमिका में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी हैं और उनकी पत्नी के किरदार को रसिका दुग्गल ने निभाया है।
 
फिल्म की अभी करीब 10 दिन की शूटिंग और बाकी है जिसे यह टीम मई में ही ख़तम करने वाली है। 
 
फिल्म का दौर 1946 से 1952 तक का है, वह दौर जो इतिहास में खून से लिखा गया, उसी दौर में सआदत हसन मंटो की ज़िन्दगी और उनके आसपास की घटनाओं को इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की है। नंदिता कहती हैं, मंटो ने फिल्म में भी काम किया और कई रेडियो नाटक भी लिखे लेकिन उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि फिल्में बची नहीं, और उस दौर में रेडियो नाटक रिकॉर्ड नहीं होते थे, सीधा प्रसारण होता था। 
 
रसिका दुग्गल जो किस्सा फिल्म में आई थीं अपने रोल से बहुत खुश हैं, वह कहती हैं कि आम तौर पर लोग भूल जाते हैं कि जो कलाकार है, जो लेखक है, उसका परिवार भी है और वह उस परिवार के लिए सेलिब्रिटी नहीं है, इस फिल्म के जरिये उस मंटो को जानने का मौका मिला जो छुपा हुआ था। 
इस मौके पर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने मंटो की लिखी हुई रचना भी पढ़ी। मंटो को जानने पढ़ने के बाद वह कहीं न कहीं किसी रूप में आपको बदल देते हैं , इंसान वह नहीं बचता जो पहले था, और जब नवाज़ से पूछा कि आपको मंटो ने किस कदर बदला है तो उनका कहना था 'कुछ बातें बुरी लगती हैं और हम कह जाते हैं, कुछ हम नहीं कहते लेकिन पता होता है कि गलत है और कुछ जो गलत है वह पता ही नहीं चलता। लेकिन मंटो को जानने के बाद यह जरूर पता चलता है कि यह गलत है, भले ही बोल पाने की हिम्मत अभी भी नहीं आई है'  
 
सआदत हसन मंटो एक ऐसा नाम है जो दुनिया में अपनी साफ़ गोई के लिए मशहूर है। उनकी कहानियां उनके खत सभी में वह दुनिया मिलती है जो वाकई मौजूद है, कोई फंतासी नहीं है। 
 
मंटो का नाम और नंदिता दास का नाम जब एक ही प्रोजेक्ट में हो तो फ़िल्मी दुनिया में हलचल मचना स्वाभाविक है और यही वजह थी इस शाम सभी बड़े फिल्म फेस्टिवल्स के लोग मौजूद थे। देखते हैं किस फेस्टिवल से मंटो के इस सफर की शुरुआत होती है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बेवॉच की कहानी