Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कान फिल्म फेस्टिवल : हर तरफ कतार है यहां.....

हमें फॉलो करें कान फिल्म फेस्टिवल : हर तरफ कतार है यहां.....
webdunia

प्रज्ञा मिश्रा

कान फिल्म फेस्टिवल से प्रज्ञा मिश्रा की रिपोर्ट .... 

शुक्रवार की सुबह साढ़े आठ बजे का शो। .लोग डेढ़ दो घंटा पहले से आकर लाइन में खड़े हैं। कतार है जो गेट के दोनों तरफ लम्बी होती ही जा रही है। और फिर शुरू होता है दो दो बार बैग चेकिंग, बैज या कार्ड की चेकिंग का दौर और फिर सीट खोजने का दौर। सिवाय ज्यादा चेकिंग के इस सुबह में कुछ भी नया नहीं है। खैर जैसे तैसे सीट मिली और फिर फिल्म के शुरू होने घोषणा हुई, अंधेरा हुआ और जैसे ही फिल्म के प्रोडूसर्स 'नेटफ्लिक्स' का नाम आया लोगों ने हूटिंग करना शुरू किया।

फिल्म शुरू हुई लेकिन बेवजह की तालियां, बेवजह की हूटिंग की आवाज़ और बीच-बीच में पैरों को ठोकने की आवाज़ें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। समझ ही नहीं आया कि आखिर इन प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है ?? बमुश्किल फिल्म सात आठ मिनिट चली होगी और फिल्म बंद हो गई, लाइट्स फिर से चालू हो गई और फुसफुसाहटें बढ़ गई। 
 
पास ही बैठी अनुपमा चोपड़ा ने तुरंत ट्विटर खोला और वहां से पता चला कि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम है। खैर 10-12 मिनिट बाद फिल्म शुरू हुई। और इस बार सिर्फ नेटफ्लिक्स को ही दो चार हूटिंग की आवाज़ों से नवाज़ा गया। फिल्म के बाद पता चला कि फिल्म के स्क्रीन पर एलाइनमेंट में गड़बड़ थी। फेस्टिवल आयोजकों ने फिल्म की टीम और दर्शकों से बाकायदा माफ़ी भी मांगी और अपना स्टेटमेंट भी दिया।  
 
वैसे इस बार लगभग हर फिल्म कुछ न कुछ मिनिटों की देरी से ही शुरू हो रही है। वजह साफ़ है सिनेमा हॉल जब खाली होता है उसके बाद अगली स्क्रीनिंग के बीच बमुश्किल आधे से पौन घंटे का ही समय होता है। लेकिन इतनी भीड़ की जुएं पकड़ने वाली तलाशी लेने में समय तो लगता है।
 
इतना ही नहीं हर साल फेस्टिवल में आने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। शुक्रवार की शाम की फिल्म में कतार इतनी बार अपनी दिशा बदल चुकी थी कि जाना था जापान पहुंच गए चीन वाली हालत हो रही थी। कौन किसके पीछे था और किसे पहले जाने का हक़ है इस मुद्दे पर इतना लम्बा झगड़ा पहले कभी नहीं देखा। क्योंकि आम तौर पर लोग एक तंज मार कर चुप हो जाते हैं। लेकिन यहां तो पूरे 40 मिनिट तक एक भीड़ यही तय करती रही कि कौन कहां खड़ा था। खैर जिस महिला ने इस नाइंसाफी के खिलाफ झंडा उठा रखा था वह यह जानती थी कि मैं उसके आगे थी और उसने पूरी ईमानदारी से हाथ पकड़ मुझे आगे किया। वरना रात के 12  बजे वाली स्क्रीनिंग के लिए हम भी खड़े होते। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कान फिल्म फेस्टिवल : फिल्म लवलेस ने बताई परिवार में प्यार की कमी