Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मैडोना का इंकार

हमें फॉलो करें मैडोना का इंकार

अनहद

परंपरावादी सोच रखने वाले लोगों के लिए तो पचास साल की पॉप स्टार मैडोना खलनायिका ही हैं, पर क्या नारी विमर्श के नाम पर महिलाओं की आज़ादी का नारा लगाने वाले मैडोना से सहमत हो सकते हैं? मैडोना ठीक वैसी ही हैं, जैसी नारी विमर्श के पैरोकार चाहते हैं। बिंदास, अल्हड़ और खुलकर जीने वालीं। मैडोना का जीवन किसी भी आज़ाद खयाल महिला के लिए आदर्श हो सकता है। सवाल मैडोना के पुरुष मित्रों और उनसे उनकी अंतरंगता का नहीं है। हॉलीवुड (और बॉलीवुड) में ऐसी बहुत-सी अभिनेत्रियाँ होंगी। मैडोना और उनमें यह फर्क है कि मैडोना जो कुछ भी करती हैं, अपना हक समझकर करती हैं। सीमोन द बोउवार की किताब भले ही मैडोना ने न पढ़ी हो, पर वे विद्रोही व्यक्तित्व हैं।

उनके विद्रोह और साहस की पहली झलक तब मिली, जब उन्होंने अपने एक एलबम में पोप की तस्वीर फाड़ते हुए ऐलान किया- फाइट विद रियल एनिमी...। यानी वास्तविक दुश्मन से लड़ो। सभी धर्म स्त्रियों की आज़ादी के खिलाफ हैं और पोप का फोटो फाड़कर ऐलान करना कि वास्तविक दुश्मन धर्म है, क्या विद्रोह और साहस नहीं है? महिलाएँ सुंदर बालों के लिए मरती हैं, पर मैडोना ने एक एलबम में पूरा सिर गंजा कराया है और फिर भी सुंदर लगी हैं। महिलाओं की आज़ादी की बौद्धिक बहस करना और बात है, पर अस्तित्वगत ढंग से विरोध करना और। महिलाओं की आज़ादी की बौद्धिक बातें करने वाली महिलाएँ अक्सर खुद अपने जीवन में दकियानूसी और परंपरावादी होती हैं। वे अपने आपको भुलावा देने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती हैं और अहंकार को तृप्त करने के लिए भाषण झाड़ती हैं। मैडोना का विद्रोह किसी किताब को पढ़कर नहीं आता, जीवन की माँगों से और सचाइयों आता है।

फिलहाल मैडोना अपने से २२ साल छोटे बॉयफ्रेंड के साथ हैं। युवा और सुंदर साथी किसे अच्छे नहीं लगते? क्या सफल पुरुष अपने से छोटी उम्र की लड़कियों से दोस्ती नहीं रखते? हमारा दोहरापन ये है कि हम "चीनी कम" में अमिताभ के साथ तब्बू को देख सकते हैं, "निःशब्द" में बेटी से छोटी लड़की के साथ भी नायक को देख सकते हैं, पर सोचिए कि क्या कोई निर्माता निर्देशक इससे उलटा दिखा सकता है? मैडोना स्त्री रूप में इंसानी चाहतों का आईना हैं। मैडोना को देखकर सीमोन द बोउवार की बात सच जान पड़ती है कि स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है। मैडोना ने स्त्री के उस रूप में ढलने से इंकार कर दिया है, जिस रूप में समाज उसे ढालता है और फिर प्रशंसा करता है। मैडोना से असहमत हुआ जा सकता है, पर उनका साहस और विद्रोह उनके प्रति सम्मान जगाता है। क्या हमारे किसी कलाकार में है इतना दम कि किसी धर्म माफिया से पंगा ले सके?

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi