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किचन में रखें इन बातों का खयाल

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- प्रणिता भंडार

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किचन घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, परंतु अक्सर होता तो यह है कि महिलाओं का ध्यान घर के ड्राइंगरूम, डाइनिंग रूम, बेडरूम की सफाई व साज-सज्जा पर अधिक होता है किचन पर कम। यदि महिला हाउस वाइफ है तो उसका अधिकांश समय किचन में गुजरता है, यदि कामकाजी है तो भी किचन में ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर बनाने के लिए कुछ समय तो रहना ही होता है।

अनेक अध्ययनों से यह पता किया गया है कि बाहरी प्रदूषण से 10 गुना अधिक घर के भीतर प्रदूषण है। प्रदूषण का प्रतिशत रसोईघर में तो और भी अधिक है, जो एक समस्या बनता जा रहा है।

रसोईघर के प्रदूषण से गृहिणी को सिरदर्द, अनिद्रा, जी मिचलाना, भूख न लगना, आँखों में जलन, माँसपेशियों में कमजोरी जैसी कई व्याधियाँ हो सकती हैं। यदि आप किचन को प्रदूषण मुक्त रखना चाहती हैं तो स्वच्छ हवा के अंदर आने और दूषित हवा के बाहर जाने की अच्छी व्यवस्था हो।

किचन में खाना बनाने के लिए उपयोग में आने वाली गैस, तेल, घी और सब्जियों को भूनने की गंध महिलाओं के शरीर में पहुँचकर अनेक प्रकार की बीमारियाँ पैदा करती है। यदि आपने रसोईघर में टेलीविजन, रेडियो, टेपरेकॉर्डर, मिक्सी, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, आदि लगा रखा है तो इनकी तेज आवाज भी शरीर के लिए खतरनाक है।

विशेषज्ञों के अनुसार 50 से 60 डेसीवल से अधिक ध्वनि हर किसी के लिए खतरनाक हो सकती है। किचन में अधिक शोर होने से कान में आवाज गूँजना, कमजोरी, अनिद्रा, दिल की धड़कन का बढ़ जाना, सिरदर्द, आँखों की तकलीफ, खाँसी आदि हो जाती है।

रसोईघर में सड़ रहा कचरा भी कम खतरनाक नहीं होता है। इस कचरे से निकलने वाली गैस काफी नुकसानदायक होती है, इसलिए घर में कचरा सड़ने न दें।

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