घर आखिर घर होता है
किराए के घर को कैसे सजाएँ
घर वह स्थान होता है जिसमें हम अपने परिवार के साथ रहते हैं। हमारे प्रवेश के साथ वह घर ईंट-गारे की दीवारों से कहीं ज्यादा एक जीवित घर बन उठता है, जो हमारी खुशियों के साथ चहकता है और हमारे तन्हाई के साथ खामोश हो जाता है। गृह प्रवेश के साथ ही घर सजाने की कवायद शुरू हो जाती है। घर अपना हो तो उसे पूरे दिल से सजाया जाता है लेकिन यदि घर किराए का हो तो उसे सजाने का उत्साह थोड़ा कम हो जाता है। किराए के घर के साथ दिक्कत यह होती है कि उसे कभी भी खाली करने का डर मन में बना रहता है, जिसके चलते हम उसकी सजावट में अधिक पैसा खर्च करने से कतराते हैं। |
गृह प्रवेश के साथ ही घर सजाने की कवायद शुरू हो जाती है। घर अपना हो तो उसे पूरे दिल से सजाया जाता है लेकिन यदि घर किराए का हो तो उसे सजाने का उत्साह थोड़ा कम हो जाता है। |
|
|
* घर आखिर घर होता है :-
घर किराए का हो या स्वयं का, होता तो वो घर ही है, जिसमें हम रहते हैं। यदि हमें उस घर में रहना है तो फिर घर सजाने में मन मारने की क्या जरूरत है?
महानगरों में फ्लैट्स का चलन अधिक है। फ्लैट में सबसे बड़ी समस्या सामान को शिफ्ट करने की होती है क्योंकि कई बार सामान की उठापटक करने में हमारे कई सामान टूट-फूट जाते हैं।
आपकी समस्याओं का समाधान करते हुए किराए के घर को भी अच्छे से सजाया जा सकता है। बस कुछ ऐहतियात और सावधानी बरतकर हम किराए के घर को भी अपना सुंदर-सा आशियाना बना सकते हैं।
* रखें इन बातों का ख्याल :-
* आपके सोने का बेड दीवान या पलंग पेटी के रूप में बनवाएँ, ताकि उसे लाने-ले जाने में दिक्कत न हो और उसके भीतर सामान भी रखा जा सके।
* शो पीस लेते समय यह ध्यान रखें कि वह बहुत नाजुक न हो। ऐसा करने से हम उसे बाद में आसानी से शिफ्ट कर सकते हैं।
* यदि आपके बच्चे दीवारों पर पेंटिंग करने के शौकीन हैं तो उनके कमरे में एक ब्लैक बोर्ड लगाएँ, जिस पर अपने हुनर को उकेर सकें।
* घर में बेकार चीजों को इकट्ठी न होने दें।
* किराए के मकान में यदि अलमारियों में दरवाजे नहीं हैं तो दरवाजे लगवाकर आप उसे सामान रखने लायक बना सकते हैं।
* दीवारों पर ज्यादा कीलें ठोकने से परहेज करें।
* फोल्डिंग डायनिंग टेबल आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।