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जानें ईशान कोण के प्रभावों के बारे में

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घर का ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण वास्तुपुरुष का सिर होता है। यह क्षेत्र घर के मुखिया को इंगित करता है। देखा जाए तो घर के संपूर्ण वास्तु का यह 'की प्वाइंट' है।

इसका रक्षण एवं शोधन घर के संपूर्ण वास्तु तथा घर के संपूर्ण वास्तु तथा घर के मुखिया एवं परिवार के अन्य लोगों के मस्तिष्क को नियंत्रित करता है।

ईशान कोण के विभिन्न प्रभाव :

1. घर के ईशान कोण में जितनी ज्यादा गंदगी रहेगी, उस घर के मुखिया के मस्तिष्क में उतने ज्यादा तनाव रहेंगे। यही नहीं घर के अन्य रहने वाले भी तनाव से ग्रस्त रहेंगे। यही नहीं घर के अन्य रहने वाले भी तनाव से ग्रस्त रहेंगे। मस्तिष्क में अधिक तनाव रहने पर व्यक्ति अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, असंतुलित रक्तचाप का शिकार हो जाता है। हृदय पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ता है और घर के इतिहास में मधुमेह है, तो घर का प्रमुख इससे ग्रसित होने लगता है।

2. ईशान कोण में जूते-चप्पल रखें जाएँगे तो घर के मुखिया को समय-समय पर अपमान का सामना करना पड़ता है।

3. ईशान क्षेत्र पर बहुत अधिक भार होने से घर के प्रमुख के साथ-साथ समस्त परिवार वाले हमेशा तनावग्रस्त रहते हैं तथा उनके मनोमस्तिष्क में भेद उभरते हैं, उनमें कटुता एवं ईष्या की भावनाएँ बलवती होती है।

4. ईशान क्षेत्र जल का क्षेत्र होता है। इस तरफ रसोईघर का होना अथवा इस तरफ अग्नि का नित्य प्रज्वलन करना उस घर के प्रमुख सहित सबको अनेक प्रकार की व्याधियाँ प्रदान करता है। विशेष रूप से पेट, किडनी व हड्डियों के रोग होते हैं। धन की भी हानि होती है।

5. घर के ईशान क्षेत्र को भी खुला होना चाहिए। पूर्ण खुला ना रह सके तो कम से कम इस तरफ की खिड़कियाँ तो होनी ही चाहिए। यदि यह क्षेत्र बंद रहता है तो घर में ऋणात्मकता आती है।

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