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अभिलाषा वर्मा
ड्राइंग रूम यानी कि घर का चिराग, जहाँ महफिलें सजती हैं अपनों के साथ, अपनों के लिए और शमा रोशन होती है खास मेहमानों के लिए। आवभगत की परम्पराओं और मेल-मिलाप की आधुनिकता के साथ आज भी मेहमानों के लिए बना यह कमरा अपनी अलग पहचान रखता है।
क्या आधुनिकता के साथ पारम्परिक लोक कला का संगम असंभव है? जी, नहीं यह बिल्कुल सम्भव है। आइए हम आपको बताते हैं कि आप अपनी आधुनिक बैठक को कैसे पारम्परिक लोक कला के साथ सजा सकती हैं?
इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है कि आप लोक कला से संबंधित सामग्री एकत्रित करना शुरू करें। अलंकृत गमले, मिट्टी के बर्तनों के साथ पारंपरिक चित्रकला और कढ़ाई किए हुए वॉल हॅगिंग, बाँस और टेराकोटा की विभिन्न कलाकृतियाँ अपनी पसंद में शामिल करें।
आजकल ये सभी सामग्री बड़े शहरों में आसानी से उपलब्ध हैं। तो आइए सजाते हैं आपकी मनपसंद बैठक परंपरा और आधुनिकता के संगम के साथ।
ड्राइंगरूम सजाने के लिए :
* अगर आप रंग करवाएँ तो गेरुआ या फिर मिट्टी से मिलते-जुलते रंगों का चयन करें। चाहे तो गहरा कत्थई और कॉफी रंग भी पसंद कर सकती हैं। दीवारों पर लोक कला के चित्रांकनों के लिए सफेद और पीले रंगों का चुनाव करें।
* विषय कथानक के लिए आप लोक कला, रामायण, महाभारत के प्रसंग और इसी तरह की कहानियों और कथाओं की मदद ले सकती हैं।
* खिड़कियों और दरवाजों की चौखट पर सुन्दर बेल का आकल्पन उन्हें एक नया ही रूप देगा।
* बैठक व्यवस्था के लिए जमीन पर गादियाँ लगाकर उन्हें पारंपरिक कला में कढ़ी चादरों से सजाएँ।
* अगर आपके पास बाँस का फर्नीचर है, तो कहना ही क्या आपका ड्राइंगरूम खिल उठेगा।
* निराश मत होइए अगर आपका कम बजट है, तो पुराने बक्सों को करीने से लगाइए। दीवार के रंग से मिलती-जुलती चादर से उन्हें अच्छी तरह कवर कीजिए, उसके ऊपर बाँस की चटाई बिछाएँ और कवर चढ़ी हुई गादियाँ लगाएँ।
* इतना ही नहीं, बल्कि एक तरह से आउटडेटेड हो चुके और घरों से दूर जा चुके लकड़ी/बाँस के मुड्ढों को अपने ड्राइंगरूम में ले आइए, नए रंगों के साथ।
* दरवाजों-खिड़कियों पर भी परदों की जरूरत नहीं है। या तो बाँस की चटाई लगाएँ नहीं तो घर को ठण्डा रखने वाली खस की छींट। अब बारी है आपके द्वारा एकत्र की गई लोक कला सामग्री की। अपनी पसंद से उन्हें यथास्थान सजाएँ।
* बाँस और टेराकोटा तथा मिट्टी के ये पात्र परंपरा की सोंधी आधुनिक महक के साथ सजावट में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बैठक तो सज गई, लेकिन ये क्या रोशनी को तो आप भूल ही गईं? पुराने बड़े आकार के दीपक तथा लालटेन आपके आधुनिक ड्राइंगरूम में परंपरा की शमाँ कायम रखेंगे।
* चाहें तो आप प्रकाश व्यवस्था को एक नया रूप दे सकती हैं। इसके लिए बाँस की छोटी टोकनी का शेड बनाएँ। उसमें बल्ब लगाकर नीचे से उसी आकार की टोकनी मजबूती से बाँध दें। लीजिए तैयार है मद्धिम रोशनी में लोक परंपरा और आधुनिकता से सजा-सँवरा आपका ड्राइंगरूम। तो ये बताइए पहले खास मेहमान के रूप में किसे बुला रही हैं?।