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भारती पंडित
आजकल समाचार पत्र पढ़ते ही हम सिहर जाते हैं। घर से बाहर निकलते समय ही नहीं, घर में अकेले रहते हुए भी डर लगता है। राहजनी, चोरी, लूटपाट जैसी घटनाएँ आम होती जा रही हैं। इन सबके लिए लगातार हम दूसरों को दोष देते हैं, कोसते हैं, पर क्या इन घटनाओं के पीछे थोड़ी जिम्मेदारी हमारी असावधानियों की भी नहीं होती? आइए देखें कैसे :* माना कि आपके पति शहर से बाहर जा रहे हैं और आप बच्चों के साथ घर में अकेली हैं। पर क्या इसकी जानकारी सारे मोहल्ले से लेकर महरी दूध वाले तक को देना जरूरी है? * मोबाइल माना कि आपकी सुविधा के लिए है, परंतु क्या जरूरी है कि रुपयों की डीलिंग के बारे में भरी सड़क पर बात की जाए वह भी तब जब आसपास ढेरों जाने-अनजाने लोग मौजूद हों? * एटीएम के उपयोग के लिए 'पिन कोड नंबर' याद करना जरूरी है, मगर उसे एटीएम कार्ड के साथ या उसके कवर पर ही लिखा जाए, क्या यह आपकी असावधानी नहीं? * मोबाइल के कॉल बालकनी या छत पर जाकर अटेंड करना, अपनी जरूरी बातें सार्वजनिक बनाना, फोन नंबर जोर से बोलना, क्या ये किसी अप्रिय घटना को राह नहीं दिखाते? |
आजकल समाचार पत्र पढ़ते ही हम सिहर जाते हैं। घर से बाहर निकलते समय ही नहीं, घर में अकेले रहते हुए भी डर लगता है। राहजनी, चोरी, लूटपाट जैसी घटनाएँ आम होती जा रही हैं। इन सबके लिए लगातार हम दूसरों को दोष देते हैं, कोसते हैं। |
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* जाहिर है गहनों और रुपयों से 'स्टेटस' दिखता है, परंतु भीड़भरे बाजारों में या अँधेरी गलियों में गहनों से लद-फदकर जाना, पर्स में ढेरों नकद राशि रखना क्या मुसीबत को दावत नहीं देगा?
* ठीक है, आप उदारमना हैं, गरजमंद पर तरस खाती हैं परंतु हर आते-जाते (चाहे सेल्समैन हो या भिखारी) को घर में बुलाना-बिठाना क्या समझदारी है।
* बच्चों को बचपन से ही 'रफ-टफ' बनाना चाहिए। हो सकता है आपका यह फलसफा सही हो। मगर छोटे बच्चों को भीड़भरी सड़कों पर छोड़ देना, बाजार में अकेले भेजना, वाहन चलाने देना आदि दुर्घटनाओं को बुलावा देना नहीं तो और क्या है?
* माना कि आप बेहद व्यस्त हैं, आपस में मेलजोल रखना संभव नहीं, मगर इतनी भी व्यस्तता किस काम की कि घर में मुसीबत आने पर पड़ोसी का फोन नंबर तक आपके पास न हो?
सुरक्षित कैसे रहें?
* अपनी जीवनशैली पर गौर करें। सार्वजनिक और व्यक्तिगत के बीच की सीमा रेखा को पहचानें।
* अपने पर्स में और घर की फोन बुक में जरूरी नंबर (पड़ोसी, पुलिस, फायर ब्रिगेड आदि) अवश्य रखें। इस हेतु मोबाइल के भरोसे न रहें।
* बच्चों को आकस्मिकता से निपटने का प्रशिक्षण दें। उन्हें भी जरूरी नंबरों, हेल्प लाइन से अवगत कराएँ।
* गहनों व अन्य बेशकीमती वस्तुओं के लिए बैंक लॉकर का इस्तेमाल करें।
* घर की आवश्यक वस्तुओं का बीमा अवश्य कराएँ। सुरक्षा उपाय अपनाएँ और सुरक्षित रहें।