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घर में दस्तक देता प्रदूषण

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हमें फॉलो करें प्रदूषण
- पुष्पा कटारिया

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दैनिक जीवन में इस्तेमाल में कई ऐसी चीजें आती हैं जिन्हें हम आधुनिक जीवन का अनिवार्य अंग मानते हैं। धातुएँ, प्लास्टिक, रसायन व गैस, जो हम नित्य काम में लाते हैं उनसे स्वास्थ्य पर बड़ी क्षति हो रही है।

प्राय: ऐसा देखा गया है कि अंदर की हवा में बाहर की तुलना में प्रदूषकों की ज्यादा मात्रा पाई गई है। ये प्रदूषक गलीचों, लकड़ी के कैबिनेटों में पाए जाते हैं। जो घर या दफ्तर एकदम बंद रहते हैं जिनमें हवा के आने-जाने की व्यवस्था नहीं होती उनमें सबसे ज्यादा प्रदूषक रहते हैं।

विशेष रूप से एक घातक रासायनिक प्रदूषक कार्बन मोनो ऑक्साइड को देश में सबसे बड़ी वायु प्रदूषण समस्या कहा गया है जिससे रातोंरात मृत्यु तक हो सकती है। इस गैस का जहर अंदर घरों में कोयला जलाने से फैल सकता है।

* वे लोग जो टेलीविजन व कम्प्यूटर का अधिक इस्तेमाल करते हैं, इनसे आँखों पर तो बुरा असर पड़ता ही है साथ ही हल्का विकिरण होने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है।

* एयर कंडीशनर व फ्रिज से निकलने वाली गैस ओजोन परत को पतला करती है।

* एक और खतरनाक प्रदूषक तंबाकू का धुआँ है। यह कण तथा गैस छोड़ता है। सिगरेट का धुआँ प्रदूषण का बड़ा है। धुएँ के कणों के आकार का बहुत महत्व है, क्योंकि यही दीवारों तथा अन्य स्थानों पर जमा होते है, यही श्वास के साथ अंदर जाते हैं और आकार के हिसाब से ही फेफड़ों में प्रवेश करते हैं।

कुल मिलाकर शोध से यह पता चल रहा है कि मनुष्य ज्यों-ज्यों प्रकृति से दूर हो रहा है, प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रयास करें कि जितना हो सके प्रकृति के निकट आएँ।
उपाय : मोहल्ले, कॉलोनियों में पौधारोपण से लेकर उसके वृक्ष बनने तक की जिम्मेदारी उठाएँ।

* किसी के जन्मदिन पर उसे नीम, बबूल, तुलसी आदि के पौधे उपहार में दे।

* घर, आँगन के साथ अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखें।

* हाँथी दाँत के आभूषण, फर के कोट, साँप या अन्य जानवर की खाल से बने पर्स, बैग या बेल्ट का उपयोग न करें।

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