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घर में हो एक मं‍दिर

कम जगह में कैसा हो मंदिर?

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गायत्री शर्मा

Gayarti SharmaWD
हर किसी की चाह रहती है कि उनके घर में एक कोना ऐसा हो। जहाँ उन्हें शांति व सुकून का अहसास हो। घर में अगर सब कुछ हो लेकिन मंदिर ना हो तो वह घर पूर्ण नहीं होता?

जरूरी नहीं कि हम घर में भगवान के बड़े-बड़े मंदिर या पूजा घर बनवाएँ।

आजकल तो शहरों में रहने के लिए दो कमरे भी मिलना मुश्किल है। ऐसे में बड़ा पूजा घर या पूजा घर के लिए एक अलग कमरा निर्धारित करना हर किसी के बस की बात नहीं है।

हम सभी चाहते हैं कि घर में कम जगह में हमारी सारी जरूरतें पूरी हों। यदि हम ऐसा सोचते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि आज हमारे पास विकल्पों की भरमार है, जिनसे हम अपने छोटे से घर को सुंदर बनाकर अपनी जरूरतों को भी पूरा कर सकते है।

क्या है विकल्प :-
छोटे से घर में मंदिर की चाह रखने वालों के लिए 'रेडिमेड मंदिर' एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं जिससे कम जगह का उचित उपयोग किया जा सकता है।

आजकल बाजार में लकड़ी व लोहे के रंग-बिरंगे सुंदर मंदिर आसानी से मिल जाते हैं। इन पर रंगों व लकड़ी से की गई पारंपरिक कारी‍गरी भी लाजवाब होती है। हम अपनी पसंद व घर में जगह के अनुसार ऑर्डर देकर मनचाही साइज का मंदिर भी बनवा सकते हैं।

लकड़ी के मंदिर :-
  आजकल बाजार में लकड़ी व लोहे के रंग-बिरंगे सुंदर मंदिर आसानी से मिल जाते हैं। इन पर रंगों व लकड़ी से की गई पारंपरिक कारी‍गरी भी लाजवाब होती है। हम अपनी पसंद व घर में जगह के अनुसार ऑर्डर देकर मनचाही साइज का मंदिर भी बनवा सकते हैं।      
लकड़ी के मंदिर दिखने में आकर्षक व दाम में किफायती भी होते हैं। बाजार में ये मंदिर तैयार भी मिल जाते हैं।

ये मंदिर मुख्यत: बबूल, सागवान की लकड़ी व प्लायवुड से बनाए जाते हैं। इन पर दाम व पसंद के अनुसार पॉलिश व रंग किया जाता है।

सनमाइका से इन मंदिरों की सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है तथा यह वजन में भी लकड़ी की तुलना में कम भारी होती है। आजकल बाजार में हर रंग की सनमाइका मिल जाती है।

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यदि आप अपने घर के दरवाजे या फर्श से मैच सनमाइका मंदिर में लगाएँगे तो उस मंदिर से आपके कमरे की आंतरिक सुंदरता निखर आएगी।

लकड़ी के मंदिरों में लोहे के पाइप के दरवाजे व मंदिर के ऊपर ताँबे का कलश उसे पारंपरिक लुक देता है।

शुरुआती दाम :-
  हर किसी की चाह रहती है कि उनके घर में एक कोना ऐसा हो। जहाँ उन्हें शांति व सुकून का अहसास हो। घर में अगर सब कुछ हो लेकिन मंदिर ना हो तो वह घर पूर्ण नहीं होता?      
मंदिरों के दाम उनकी साइज व उसमें प्रयोग में लाई गई लकड़ी पर निर्भर करते हैं।

बबूल की लकड़ी व प्लायवुड के मंदिर सागवान की लकड़ी के मंदिर की अपेक्षा सस्ते दामों पर मिल जाते हैं। इसके अलावा कारीगरी व पालिश के हिसाब से इनके दाम बढ़ते जाते हैं।

जहाँ बबूल की लकड़ी का छोटा मंदिर 60 रुपए से शुरू होकर 2000 रुपए तक बनता है वहीं सागवान की लकड़ी का मंदिर 300 रुपए के शुरुआती दाम से 7000 रुपए तक बिकता है।

लकड़ी के मंदिर बनाने वाले कारीगर धर्मेंद्र सँवारे के अनुसार- 'मैं पिछले आठ-दस साल से लकड़ी के मंदिर बना रहा हूँ। आज भी बाजार में इसकी डिमांड बहुत है। कम जगह में पूजा स्थान की चाह रखने वाले लोग ऑर्डर देकर हमसे मंदिर बनवाते हैं।'

यह खरीददार पर निर्भर करता है कि वह कौन सी लकड़ी का मंदिर खरीदता है। कारीगरी व माँग के हिसाब से मंदिरों के दाम में उतार-चढ़ाव आता है। तो क्यों न भगवान के लिए भी घर में एक सुरक्षित कोना रखा जाए, जहाँ कुछ पल बैठकर हमें सुकून मिले।

क्या हैं फायदे :-
* इन्हें आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है।
* ये मनचाहे रंगों व डिजाइनों में आसानी से मिल जाते हैं।
* इसे कम जगह, कॉर्नर या दीवार पर भी लगा सकते हैं।
* इसके दाम अपेक्षाकृत कम होते हैं।

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