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घर सजाएँ रंग-बिरंगी मछलियों से

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- आशा शर्म

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काँच के घर (एक्वेरियम) में चलती-फिरती रंग-बिरंगी मछलियाँ बरबस ही मन मोह लेती हैं। थोड़ी देर के लिए ही सही, हम सारे तनाव भूलकर तरोताजा हो जाते हैं। एक्वेरियम आपके घर की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ आपको स्वस्थ रहने में भी मदद करता है। अब वैज्ञानिक शोधों से भी सिद्ध हो चुका है कि प्रतिदिन कुछ देर एक्वेरियम को देखने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

* एक्वेरियम को अपने ड्राइंग रूम, लिविंग रूम या बच्चों के स्टडी रूम में रख सकते हैं।
* अपनी सुविधानुसार छोटा या बड़ा, गोल या चौकोर कैसा भी एक्वेरियम रखें। लेकिन यह ध्यान दें कि मछलियों को तैरने-घूमने के लिए पर्याप्त जगह मिले। उसी अनुसार मछलियों की संख्या भी रखें।
* बहुत ज्यादा बड़ी मछलियों को बहुत छोटी मछलियों के साथ न रखें, क्योंकि बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों को खा जाती हैं।
* कुछ मछलियाँ जोड़े में ही रखी जाती हैं जबकि फाइटर फिश हमेशा अकेले ही रखते हैं
  काँच के घर (एक्वेरियम) में चलती-फिरती रंग-बिरंगी मछलियाँ बरबस ही मन मोह लेती हैं। थोड़ी देर के लिए ही सही, हम सारे तनाव भूलकर तरोताजा हो जाते हैं। एक्वेरियम आपके घर की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ आपको स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।      


* एक्वेरियम के तापमान को नियंत्रित रखें। गर्मी में ठंडा पानी डालते रहें तथा सर्दियों में पानी कुनकुना कर एक्वेरियम में डालें। वैसे आजकल बाजार में थर्मामीटर भी मिलते हैं, जो कि एक्वेरियम के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
* दिन में कम से कम दो घंटे रेडियेटर (पानी वाला फव्वारा) जरूर चलाएँ। इससे एक्वेरियम के पानी में हवा के माध्यम से ऑक्सीजन घुलती रहती है। ऑक्सीजन की मात्रा ठीक होने से मछलियों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
* सर्दी के दिनों में 60-100 वॉट का बल्ब एक्वेरियम में लगाएँ और ज्यादा से ज्यादा देर तक जलाएँ। जबकि गर्मियों में सीएफएल या ट्यूबलाइट का उपयोग करें। इसके उपयोग से पानी का तापक्रम स्थिर रखा जा सकता है।

* एक्वेरियम का पूरा पानी एक साथ न बदलें बल्कि 15 दिनों में आधा पानी बदलें फिर 15 दिनों बाद पूरा एक्वेरियम खाली कर और अच्छे से साफ कर ताजा पानी भर दें। पूरा पानी एक साथ बदलने से मछलियों के मरने का खतरा बढ़ जाता है।
* एक्वेरियम में छोटे-बड़े रंगीन पत्थर जरूर रखें। कभी भी एकदम खाली पानी में मछलियाँ न रखें, क्योंकि काँच-पानी में प्रकाश का परावर्तन होने के कारण मछलियों को नुकसान पहुँचता है। इसके अलावा मछलियों द्वारा छोड़ी गई गंदगी भी इन पत्थरों के टुकड़ों के नीचे दब जाती है और एक्वेरियम बहुत दिनों तक साफ पानी दिखने के कारण अच्छा लगता रहता है।
* जब भी एक्वेरियम का पानी बदलें तब 1-5 चम्मच नमक एक्वेरियम के साइज अनुसार 10-70 लीटर पानी के अनुपात में पानी में घोलकर इसमें डालें।

* एक्वेरियम का ढक्कन हमेशा बंद रखें, क्योंकि छिपकलियाँ व बिल्ली वगैरह सतह पर ऊपर तैरने वाली छोटी मछलियों को खा सकती हैं तथा पानी में गिरकर पानी को खराब कर सकती हैं।
* यदि कभी कोई मछली किसी वजह से मर भी जाती है तो उसको तुरंत ही बाहर निकालें जिससे बाकी मछलियाँ संक्रमित न हों।
* कुछ जलीय पौधे जैसे हाइड्रिला, वैलेसनेरिया को भी एक्वेरियम में रखें। ये पौधे पानी में रहते हुए ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

* आप वॉटर फिल्टर भी लगा सकते हैं जिससे हमेशा ही एक्वेरियम साफ और सुंदर दिखेगा।
* सामान्यतया एक्वेरियम में रखी जाने वाली मछलियाँ हैं- ब्लैक एवं व्हाइट सार्ड, गोल्ड फिश, रेड व ब्लैक मौली, मलीना कार्प, सिल्वर कार्प, एंजिल्स, गप्पी, स्नैक फिश, फाइटर फिश, काई खाने वाली मछली, पिन्हरा मछली।
* मछलियों के अलावा शंख भी रख सकते हैं एक्वेरियम में।

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