'वास्तु' का अर्थ होता है घर की साज-सज्जा, बनाने का तरीका और यहाँ तक की आपके रहने के नियम। वास्तु के अनुसार हर चीज का एक नियत स्थान होता है, और घर में रहने वाले सदस्यों को इसका पालन करना चाहिए ताकि वे अपनी पूरी उर्जा का उपयोग कर सकें।
भारतीय वास्तुशास्त्र में हमारे सोने के लिए भी निश्चित जगह निर्धारित है। इसके अनुसार दक्षिण की ओर सिर तथा उत्तर की ओर पैर करके सोने से शरीर की उर्जा नष्ट नहीं होती।
जिससे व्यक्ति उत्साह से काम कर पाता है। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर है। हम जानते हैं कि पृथ्वी एक बहुत बड़े चुंबक के समान है तथा इसकी चुंबकीय तरंगें हमारे रक्त कणों पर सीधा प्रभाव डालती हैं।
लेटी हुई अवस्था में हमारा रक्त संचार इन तरंगों द्वारा निरंतर प्रभावित होता है। प्रयोगों द्वारा सिद्ध हुआ है कि दक्षिण दिशा में सिर करके लेटने से न केवल स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि हमारे चारों ओर फैली 'कॉस्मिक ऊर्जा' शरीर द्वारा सोख ली जाती है।