आजकल वास्तु अर्थात दिशा का ज्ञान हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करता है। वास्तु यह मानता है कि यदि सही दिशा में आप कक्ष विशेष का निमार्ण करेंगे या अपना मुख रखकर कार्य आरंभ करेंगे या फिर अपना व्यवसाय करेंगे तो आपको उस कार्य में अवश्य ही सफलता मिलेंगी।
बच्चों के स्टडी रूम का निर्माण भी यदि वास्तु के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर किया जाए तो निश्चित ही आपके बच्चे की पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी तथा वह इम्तिहान में सफल होगा। हम आपको बताते हैं वास्तु के कुछ ऐसे सिद्धांत, जो आपके लिए फायदेमंद होंगे।
बच्चों का स्टडी रूम कैसा हो : -
* बच्चों का स्टडी रूम पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
* इस कक्ष में भगवान गणेश व सरस्वती की प्रतिमा लगाना चाहिए।
* यदि आप पढ़ते समय टेबल लैंप का प्रयोग करते हैं तो उस लैंप को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए।
* हल्के स्टडी रूम की दीवारों का रंग हल्का नारंगी किया जाए तो बेहतर होता है।
* पढ़ाई संबंधी पुस्तके दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
* आपकी पढ़ाई की टेबल दीवार से जुड़ी नहीं होनी चाहिए। दीवार से उसकी दूरी लगभग 3 फीट होनी चाहिए।
* इस टेबल पर पुस्तकों का ढ़ेर लगाकर नहीं रखना चाहिए।
* पढ़ने के बाद जब आप सोते हैं तो आपका सिर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
* आपके स्टडी रूम में एक पेंडुलम घड़ी अवश्य लगी होनी चाहिए।