वास्तु हमारा प्राचीन विज्ञान है, जिसके आधार पर हम कोई भी निर्माण कार्य प्रारंभ करते हैं। यदि हमारे द्वारा गलत दिशा में कोई निर्माण किया जाता है तो वास्तु हमें उसके दुष्प्रभावों से बचने के उपाय भी बताता है।
वास्तु शास्त्र में हर दिशा के हिसाब से अलग-अलग देवता बताए गए हैं, जो उन दिशाओं के स्वामी है। वास्तु में लगभग 49 देवता माने गए हैं, जो हमें बेहतर स्वास्थ्य, शांति, प्रसिद्धि, समृद्धि और खुशियाँ देते हैं।
किस दिशा का स्वामी कौन :
पूर्व दिशा (इंद्र) : देवताओं में प्रमुख देवता, जो हमें समृद्धि और खुशियाँ प्रदान करते हैं।
पश्चिम दिशा (वरूण) : वर्षा के देवता। इनकी कृपा से वर्षा होती है, जिससे हमारे जीवन में खुशियाँ आती है।
उत्तर दिशा (कुबेर) : समृद्धि के देवता का वास, जो हमें धन-धान्य से संपन्न करते हैं।
दक्षिण दिशा (यम) : मृत्यु के देवता, जो हमें धार्मिक कार्यों की ओर प्रवृत्त करते हैं तथा हमारी सारी बुराइयों का नाश करते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) : इस दिशा में बुद्धि के देवता निवास करते हैं, जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।
दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय दिशा) : इस दिशा में अग्नि देवता निवास करते हैं, जो हमें अच्छा व्यक्तित्व प्रदान कर चरित्रवान बनाते हैं।
दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य दिशा) : इस दिशा में विराजमान देवता हमारे शत्रुओं का नाश कर हमें अभयदान प्रदान करते हैं।
उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य दिशा) : इस दिशा में वायु देवता निवास करते हैं, जो हमें जीवनरक्षक प्राणवायु प्रदान करते हैं।