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आलू खाएँ लंबी उम्र पाएँ

आलू के असरकारी नुस्खे

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हमें फॉलो करें आलू
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लेटिन नाम : सोलेनम ट्यूबरोसस
प्रकृति : शुष्क और गर्म। यह रोटी से जल्दी पचता है। यह सम्पूर्ण आहार है।

आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी तथा फॉस्फोरस बहुतायत में होता है। आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियाँ बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं। इसलिए आलू खाकर लम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है।

बेरी-बेरी
बेरी-बेरी का अर्थ है- चल नहीं सकता। इस रोग से जँघागत नाड़ियों में क्षीणता का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर, दबा कर रस निकाल कर एक चम्मच की एक खुराक के हिसाब से चार बार नित्य पिलाएँ। कच्चे आलू को चबाकर रस को निगलने से भी समान लाभ मिलता है।

विटामिन 'सी'
विटामिन 'सी' आलू में बहुत होता है। इसको मीठे दूध में भी मिलाकर पिला सकते हैं। आलू को छिलका सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है या इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएँ। पानी, जिसमें आलू उबाले गए हों, को न फेंके बल्कि इसी पानी में आलुओं का रस पका लें। इस पानी में मिनरल और विटामिन बहुत होते हैं।

रक्तपित्त
कच्चा आलू रक्तपित्त को दूर करता है।

नीले पड़ना
कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीस कर लगाएँ।

जलना
जले हुए स्थान पर कच्चा आलू पीस कर लगाएँ। तेज धूप, लू से त्वचा झुलस गई हो तो कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाने से सौन्दर्य में निखार आ जाता है।

अम्लता
जिन बीमारों के पाचनांगों में अम्लता (खट्टापन) की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं और वायु अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत लाभदायक है। भूना हुआ आलू गेहूँ की रोटी से आधी देर में हजम हो जाता है और शरीर को गेहूँ की रोटी से भी अधिक पौष्टिक पदार्थ पहुँचाता है। पुरानी कब्ज और आंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

वातरक्त
कच्चा आलू पीस कर वातरक्त में अँगूठे पर लगाने से दर्द कम होता है। दर्द वाले स्थान पर भी लेप करें।

गठिया
चार आलू सेंक लें और ‍फिर उनका छिलका उतार कर नमक-मिर्च डाल कर नित्य खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाती है।

आमवात
पजामे या पतलून के दोनों जेबों में लगातार एक छोटा-सा आलू रखें तो यह आमवात से रक्षा करता है। आलू खिलाने से भी बहुत लाभ होता है।

कटिवेदना
कच्चे आलू की पुल्टिस कमर में लगाएँ।

घुटना
घुटने की सूजन व जोड़ में किसी प्रकार की बीमारी हो तो कच्चे आलू को पीस कर लगाने से बहुत लाभ मिलता है।

विसर्प चर्म रोग
यह एक ऐसा संक्रामक चर्म रोग है जिसमें सूजनयुक्त छोटी-छोटी फुन्सियाँ होती हैं, त्वचा लाल दिखाई देती है तथा साथ में ज्वर रहता है। फुन्सियाँ ठीक होती जाती हैं तथा साथ ही साथ दूसरी जल्दी फैल जाती हैं। इस रोग पर आलू को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

गुर्दे की पथरी
एक या दोनों गुर्दों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती है। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा बनने से रोकता है।

मोटापा
आलू मोटापा नहीं बढ़ाता। आलू को तल कर तीखे मसाले, घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबाल कर या गर्म रेत या राख में भून कर खाना लाभदायक और निरापद है।

उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप के रोगी को भी आलू रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है। पानी में नमक डालकर आलू उबालें। छिलका होने पर आलू में नमक कम पहुँचता है और आलू नमकयुक्त भोजन बन जाता है। इस प्रकार यह उच्च रक्त-चाप में लाभ करता है। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो उच्च रक्त-चाप को कम करता है।

गोरा रंग
आलू को पीस कर त्वचा पर मले। रंग गोरा हो जाएगा।

आँखों में जाला
कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम लगाने से 5-6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का जाला या फूला साफ हो जाता है।

बच्चों को पौष्टिक भोजन
आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं। आलू का रस निकालने की विधि यह है कि आलूओं को ताजे पानी में अच्छी तरह धोकर छिलके सहित कद्दूकस करके इस लुगदी को कपड़े में दबाकर रस निकाल लें। इस रस को एक घंटे तक ढँक कर रख दें। जब सारा कचरा गूदा नीचे जम जाए तो ऊपर का निथरा रस अलग करके काम में लें।

त्वचा की झुर्रियाँ
सर्दी में ठण्डी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने पर कच्चे आलू को पीस कर हाथों पर मलें।

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