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मुँह के छाले : कारण व निदान

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शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसके मुँह में छाले न हुए हों। इसका दर्द तो केवल वही जानता है, जिसे कभी मुँह में छाले हुए हों।

मुँह में छाले होने पर तेज जलन और दर्द होता है, कुछ भी खाना या पीना मुश्किल हो जाता है। कुछ लोगों को तो भोजन नली तक में छाले हो जाते हैं।

मुँह में छाले होना एक सामान्य तकलीफ है, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ लोगों को ये छाले बार-बार होते हैं और परेशान करते हैं। ऐसे लोगों को अपनी पूरी डॉक्टरी जाँच करानी चाहिए, ताकि उनके कारणों का पता लगाकर उचित इलाज किया जा सके।

मुँह में छाले होने के कोई एक नहीं, अनेक कारण हैं। जरूरी नहीं कि जिस कारण से किसी एक को छाले हुए हों, दूसरे व्यक्ति को भी उसी कारण से हों। कई बार पेट की गर्मी से भी छाले हो जाते हैं।

अत्यधिक मिर्च-मसालों का सेवन भी इसके लिए जिम्मेदार होता है, क्योंकि यदि पेट की क्रिया सही नहीं है, तो उसकी प्रतिक्रिया मुँह के छाले के रूप में प्रकट होती है।

छालों के कारण

* आयुर्वेद के अनुसार मुँह में छाले पेट की खराबी तथा पेट की गरमी की वजह से होते हैं। बदहजमी इसका मूल कारण है।

* कई बार कोई चीज खाते समय दांतों के बीच जीभ या गाल का हिस्सा आ जाता है, जिसकी वजह से छाले उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे छाले मुँह की लार से अपने-आप ठीक हो जाते हैं।

  मुँह में छाले होने के कोई एक नहीं, अनेक कारण हैं। जरूरी नहीं कि जिस कारण से किसी एक को छाले हुए हों, दूसरे व्यक्ति को भी उसी कारण से हों। कई बार पेट की गर्मी से भी छाले हो जाते हैं।      
* एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) की वजह से भी मुँह में छाले हो सकते हैं, विशेषकर लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक दवाओं का इस्तेमाल करने से। अधिक मात्रा में एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल करने से हमारी आंतों में लाभदायक कीटाणुओं की संख्या घट जाती है। नतीजतन मुँह में छाले पैदा हो जाते हैं।

* दाँतों की गलत संरचना की वजह से मुँह में छाले होना आम बात है। यदि दाँत आड़े-तिरछे, नुकीले या आधे टूटे हुए हैं और इसकी वजह से वे जीभ या मुँह में चुभते हैं या उनसे लगातार रगड़ लगती रहती है, तो वहाँ छाले उत्पन्न हो जाते हैं। यदि कोई तीखा दाँत लंबे समय तक जीभ या गाल से घर्षण करता रहे या चुभता रहे, इससे आगे चलकर कैन्सर होने की भी संभावना रहती है।

  सूखा खोपरा खूब चबा-चबाकर खाएँ , चबाने के बाद पेस्ट जैसा बनाकर मुँह में ही कुछ देर रखें, फिर उतार जाएँ। ऐसा दिन में तीन-चार बार करें, छाले दो दिन में दूर हो जाएँगे।      
* नकली बत्तीसी यदि सही बनी नहीं हो या उसका किनारा चुभता हो, तो भी छाले हो सकते हैं।

* सुपारी आदि खाने के बाद बिना कुल्ले किए रात को सो जाने से भी छाले हो जाते हैं। इसके अलावा तंबाखू, पान-मसाला और धूम्रपान भी मुँह के छालों का कारण बनते हैं।

* मानसिक तनाव भी एक वजह है मुँह के छालों की। यह तनाव चाहे परीक्षा का हो या नौकरी पेशे का या अन्य किसी बात का।

* यदि छाले कैन्सर में बदल जाते हैं तो शुरू-शुरू में उनमें कोई दर्द नहीं होता, लेकिन बाद में थूक के साथ खून रिसना भी शुरू हो सकता है। यहाँ तक कि खाना निगलने में भी परेशानी का अनुभव होता है।

घरेलू उपचार

* एक केला गाय के दूध से बने दही के साथ सुबह खाने से आराम मिलता है।

* यदि हमेशा छाले परेशान करते हों तो टमाटर भरपूर खाएँ। टमाटर का रस एक गिलास पानी में मिलाकर कुल्ले करने से छाले मिट जाते हैं।

* पान में चने की दाल के बराबर कपूर का टुकड़ा डालकर पान धीरे-धीरे चबाएँ, पीक उतारें नहीं, थूकते जाएँ। अंत में कुल्ला कर लें, इससे शीघ्र लाभ होगा।

* टंकण भस्म 1/4 चम्मच गुनगुने पानी में डलकर गरारे करें, छाले दूर हो जाएँगे।

* चमेली बेल के पत्ते चबाकर मुँह में घोल बना लें, इसे मुँह में ही घुमाते रहें। कुछ समय बाद थूक दें, उतारें नहीं, इससे भी बहुत आराम मिलता है।

* सूखा खोपरा खूब चबा-चबाकर खाएँ , चबाने के बाद पेस्ट जैसा बनाकर मुँह में ही कुछ देर रखें, फिर उतार जाएँ। ऐसा दिन में तीन-चार बार करें, छाले दो दिन में दूर हो जाएँगे।

छालों का निदान

  कुछ बीमारियाँ भी मुँह में छाले पैदा कर सकती हैं, जैसे हर्पीज संक्रमण या बड़ी आंत की सूजन। इसके अलावा ये छाले वंशानुगत भी हो सकते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी की वजह से भी छाले हो सकते हैं ...      
* यदि छाले सामान्य हैं, तो विटामिन 'बी' कॉम्प्लेक्स तथा फोलिक एसिड की गोलियाँ दो तीन दिन तक लेने से ठीक हो जाते हैं।

* छालों पर लगने वाले दर्द निवारक लोशन भी बाजार में मिलते हैं। इनके प्रयोग से तुरंत राहत मिलती है। इसके अलावा बोरो ग्लिसरीन भी लगाई जा सकती है या पोटेशियम परमेग्नेट के घोल से कुल्ले करना चाहिए।

  कुछ बीमारियाँ भी मुँह में छाले पैदा कर सकती हैं, जैसे हर्पीज संक्रमण या बड़ी आंत की सूजन। इसके अलावा ये छाले वंशानुगत भी हो सकते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी की वजह से भी छाले हो सकते हैं।       
* यदि छालों की वजह से कब्ज हो, तो ईसबगोल की भूसी एक चम्मच मात्रा में रात को लेना चाहिए।

* यदि दाँतों के तीखेपन की वजह से छाले होते हों, तो उन्हें घिसवा लेना चाहिए। यदि डॉक्टर उस दाँत को निकालने का परामर्श दे, तो निकलवाने में कोई हर्ज नहीं।

* आड़े-तिरछे दाँतों के ठीक करने के लिए बांधे गए तारों की वजह से भी मुँह में छाले हो सकते हैं, क्योंकि ये बार-बार मसूड़ों से टकराते हैं।

* छाले होने पर गर्म चाय-कॉफी तथा मिर्च-मसालों का सेवन न करें, क्योंकि इससे तकलीफ बढ़ सकती है।

* अधिक कठोर टूथब्रश के इस्तेमाल से भी मसूड़े छिल जाते हैं या उनमें घाव हो जाते हैं, इसलिए हमेशा सॉफ्ट ब्रश का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

* याद रखिए, यदि कोई भी छाला सप्ताह भर में ठीक न हो, तो उसे गंभीरता से लीजिए तथा डॉक्टर को बताइए।

* छालों से बचने के लिए मुँह और पेट की स्वच्छता का ध्यान रखें। मौसम के प्रभाव से भी मुँह में छाले हो जाते हैं, जैसे बहुत अधिक गर्मी में छाले हो जाते हैं।

* कुछ बीमारियाँ भी मुँह में छाले पैदा कर सकती हैं, जैसे हर्पीज संक्रमण या बड़ी आंत की सूजन। इसके अलावा ये छाले वंशानुगत भी हो सकते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी की वजह से भी छाले हो सकते हैं।

यदि छालों की वजह से भोजन करने में कठिनाई हो, तो बर्फ के ठंडे पानी से कुल्ला करके भोजन करना चाहिए। इससे राहत मिलेगी।

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