ब्राह्मी या ब्राम्ही यानि बुद्धि बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के अनुसार सबसे उत्तम और चमत्कारिक औषधि है। वसंत पंचमी के 9 दिन पूर्व अगर इसका विधिवत सेवन किया जाए तो इसके अचूक चमत्कारिक परिणामों से वंचित नहीं रहा जा सकता। माघ मास की चतुर्दशी से वसंत पंचमी तक यानी 9 दिनों में ब्राम्ही का सेवन विशेष फलदायी माना गया है।
ब्राम्ही का आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार गर्भ में पलने वाला शिशु नौ महीनों में परिपक्त होता है और उसे जीवन प्राप्त होता है, उसी प्रकार चतुर्दशी से लेकर बसंत पंचमी के बीच नौ दिन की अवधि में ब्राम्ही परिपक्व होती है और अपने विशिष्ट गुणों के कारण बेहद असरदार हो जाती है। विद्या की देवी मां सरस्वती के जन्मदिन पर ही यह अपने सर्वोत्तम परिपक्व रूप को प्राप्त करती है। अत: इन 9 दिनों में ब्राम्ही के सेवन का विशेष तौर पर महत्व माना गया है। जानिए इसके अन्य फायदे और सावधानियां-
1 इस समय ब्राम्ही का सेवन करने से विद्यार्थियों में बुद्धि बढ़ती है और उनका दिमाग तेज चलने लगता है। याददाश्त कमजोर होने पर इसका सेवन बेहद फायदेमंद है।
2 मानसिक समस्याओं, मानसिक बीमारियों के इलाज के तौर पर इसे प्रयोग करना बेहद लाभदायक है। दिमाग को ठंडा रखने के लिए भी इसका प्रयोग लाभप्रद है।
3 यह सफद दाग, पीलिया, खून की खराबी के लिए भी बेहद असरकार होती है और हृदय के लिए लाभदायक होने के साथ ही सूजन, पित्त, खांसी में भी फायदा पहुंचाती है।
4 नींद न आना, कब्जियत और धातु क्षय को रोकने में बेहद मददगार है। एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर ब्राम्ही पागलपन को भी ठीक करने में असरकारक औषधि है।
सावधानियां-
1 ब्राम्ही के सेवन में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसमें खटाई का परहेज आवश्यक है और दिमागी थकान वाले कार्य नहीं करने चाहिए।
2 जड़ी बूटी युक्त ब्राम्ही पेय का प्रयोग 24 घंटे के अंदर करना ही श्रेयस्कर होता है। इसके बाद इसका सेवन करना नुकसानदायक भी हो सकता है।
नोट : इसके अत्यधिक या गलत सेवन से मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं, अत: किसी विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही इसका सेवन करें।