कुदरत का खूबसूरत तोहफा है आँखें। आँख है तो दुनिया रंगीन है, वरना चारों ओर अंधेरा है, इसलिए आँख की सुरक्षा भी जरूरी है, खास कर उन लोगों के लिए, जिन्हें कम नजर आता है या चश्मा लगाना पड़ता है।
यहाँ दिए जा रहे उपायों से आप आँखों की सुरक्षा कुछ हद तक कर सकते हैं। निरंतर बगैर नागा किए निम्नलिखित उपाय करें तो हो सकता है आपका चश्मा छूट जाए। यह सब नियम पालन पर निर्भर है।
(1) सुबह सूर्योदय से पहले उठें और उठते ही मुँह में पानी भरकर बंद आँखों पर 20-25 बार ठंडे पानी के छींटे मारें। याद रखें, मुँह पर छींटे मारते समय या चेहरे को पानी से धोते समय मुँह में पानी भरा होना चाहिए।
(2) धूप, गर्मी या श्रम के प्रभाव से शरीर गर्म हो तो चेहरे पर ठंडा पानी न डालें। थोड़ा विश्राम कर पसीना सुखाकर और शरीर का तापमान सामान्य करके ही चेहरा धोएँ । आँखों को गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
(3) बहुत दूर के पदार्थों या दृश्यों को देर तक नजर गड़ाकर न देखें, तेज धूप से चमकते दृश्य को न देखें, कम रोशनी में लिखना, पढ़ना व बारीक काम न करें। नींद आ रही हो, आँखों में भारीपन, जलन या थकान महसूस हो तो काम तत्काल बंद कर थोड़ा विश्राम कर लें।
(4) देर रात तक जागना और सूर्योदय के बाद देर तक सोना आँखों के लिए हानिकारक होता है। देर रात तक जागना ही पड़े तो घंटा-आधा घंटे में एक गिलास ठंडा पानी पी लेना चाहिए। सुबह देर तक सोकर उठें तो उठने के बाद मुँह में पानी भरकर, आँखों पर ठंडे पानी से 20-25 छींटे जरूर मारें।
(5) आँखों को धूल, धुआँ, धूप और तेज हवा से बचाना चाहिए। ऐसे वातावरण में ज्यादा देर न ठहरें। लगातार आँखों से काम ले रहे हों तो बीच में 1-2 बार आँखें बंद कर, आँखों पर हथेलियाँ हलके हलके दबाव के साथ रखकर आँखों को आराम देते रहें।
(6) तेज रफ्तार की सवारी करने पर हवा से आँखों को बचाएँ। अधोवायु, मल-मूत्र, छींक और तनाव अधिक देर तक लगातार रोना, अत्यधिक शोक संतृप्त रहना आदि नेत्रों को हानि पहुँचाने वाले काम हैं। इनसे बचने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। आँखें सबसे कोमल और संवेदनशील अंग हैं अतः जरा से गलत आचरण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव आँखों पर ही पड़ता है यह तथ्य याद रखना चाहिए।
पोषण के उपायसुरक्षा और रोगों से बचाव के उपायों पर अमल करते हुए आँखों का पोषण करना भी जरूरी होता है। पोषण के लिए आहार में ऐसे पदार्थों का समावेश करना होगा, जिनमें नेत्र शक्ति को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व विटामिन 'ए' पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है।याद रहे पोषक आहार लेना तभी लाभकारी होगा, जब सुरक्षा के उपाय भी किए जाएँ अन्यथा पोषक आहार लेना, फूटे बर्तन में पानी भरने के समान सिद्ध होगा। यहाँ आहार-विहार से संबंधित नेत्र ज्योतिवर्द्धक सफल सिद्ध कुछ अनुभूत उपाय प्रस्तुत किए जा रहे हैं।(1)
सुबह जल्दी उठकर, आँखों पर ठंडे पानी के छींटे मारने के बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर योगासन या वायुसेवन, व्यायाम आदि से निपटकर निम्नलिखित नुस्खे का खाली पेट सेवन करें-आधा चम्मच मख्खन (अमूल मख्खन ले सकते हैं), आधा चम्मच पिसी मिश्री और थोड़ी सी पिसी कालीमिर्च, स्वाद के अनुसार मात्र में लेकर तीनों को मिला लें और चाट लें। इसके बाद कच्चे (पानी वाले सफेद) नारियल के 2-3 टुकड़े खूब अच्छी तरह चबाकर खा लें। अब थोड़ी सी सौंफ (मोटी या बारीक वाली) मुँह में डाल लें। इसे आधा घंटे तक मुँह में रखकर चबाते, चूसते रहें, इसके बाद निगल जाएँ।(2)
प्रतिदिन भोजन के साथ 50 से 100 ग्राम मात्रा में पत्तागोभी के पत्ते बारीक कतर कर, इन पर पिसा हुआ सेंधा नमक और काली मिर्च बुरकर, खूब चबा-चबाकर खाएँ।(3)
जब गाजर उपलब्ध हो तब प्रतिदिन 1-2 गाजर खूब चबा-चबाकर खाएँ या इसका रस निकालकर भोजन के घंटेभर बाद पिएँ।(4)
एक गिलास साफ ताजे पानी में नीबू की 5-6 बूंद टपकाकर इस पानी से प्रातः आँखें धोया करें। प्रातः एक चम्मच त्रिफला चूर्ण एक गिलास पानी में डालकर घोल लें और ढककर रख दें। रात को सोने से पहले इस पानी को कपड़े से छान लें और अपनी आँखें धोएँ। आँखें धोने हेतु केमिस्ट की दुकान से 'आइवाशिंग ग्लास' ले आएँ। दोनों प्रयोग करने के बाद आँख पर ठंडे पानी की पट्टी रखकर 10 मिनट लेटे रहें। ये दोनों प्रयोग सुबह-शाम रोजाना कम से कम छह माह लगातार करें। रोज न कर सकें तो एक दिन छोड़कर या सप्ताह में दो बार अवश्य करें।(5)
अपने आहार में पत्तागोभी, गाजर, आँवला, पके लाल टमाटर, हरा धनिया, सलाद, केला, संतरा, छुहारा, हरी शाक सब्जी, दूध, मख्खन, मलाई, पका आम आदि में से जिस-जिस का सेवन कर सकें तो प्रतिदिन उचित मात्रा में अवश्य सेवन करें।
(6)
प्रातः सूर्योदय से पहले हरी दूब पर नंगे पांव 15-20 मिनट टहला करें। गर्मी के दिनों में एक दिन छोड़कर पैरों के तलुओं मे मेहंदी का (गलाकर) लेप किया करें। शुद्ध घी की मालिश भी कर सकते हैं। एक दिन मेहंदी लगाएँ, दूसरे दिन शुद्ध घी लगाकर तुलओं की मालिश करें।(7)
घर में बना काजल रात को सोते समय आँखों में लगाना चाहिए। सुबह गीले कपड़े से पोंछकर साफ कर लें।(8)
आँखों के चारों तरफ कोई क्रीम या सरसों का तेल लगाकर मालिश करें। (9)
ककड़ी या आलू को गोल काटकर पतली स्लाइस आँख पर रखें, आँख के चारों ओर आलू का रस लगाएँ तो आँख दुखने व जलन में आराम मिलता है। (10)
बर्फ के पानी के फोहे बनाकर या दूध के फोहे बनाकर आँखों पर रखने से भी आँख दर्द, आँखों के आसपास कालापन आदि में आराम मिलता है। (11)
गुलाबजल को फ्रिज में रखें, इसके फाहे बनाकर आँख पर रखें, आँख में दो-दो बूंद गुलाबजल डालें, बहुत आराम मिलेगा। इतने नियमों का पालन कमजोर आँखों और चश्मा लगाने वालों को तो करना ही चाहिए, स्वस्थ आँखों वाले भी जितना बन सके उतने नियमों का पालन करें तो आँखों की ज्योति कमजोर नहीं होगी और चश्मा लगाने की नौबत नहीं आएगी। इन नियमों का नियमित रूप से पालन करते हुए खटाई, लाल मिर्च, तेज मिर्च मसालेदार व्यंजनों का सेवन न करें। 5-6 माह में ही आशातीत लाभ नजर आने लगेगा। यह सभी प्रयोग किसी भी आयु वाला कर सकता है।
आँखों में खुजली होने पर
घटक द्रव्य : दारू हल्दी 25 ग्राम, शुद्ध मधु 25 ग्राम और तुत्थ भस्म 1 रत्ती।
पहले एक लीटर पानी में दारू हल्दी को डालकर यथाविधि क्वाथ बनाएँ। आधा शेष रह जाने पर उतारकर साफ कपड़े से छान लें। फिर इस क्वाथ में शुद्ध शहद मिलाकर फिल्टर पेपर से छानकर शीशी में भरकर रख लें। ऊपर से इसमें तुत्थ भस्म को मिला दें। यह नेत्र विकारों के लिए उत्तम अंजन है।
सेवन विधि : 2-2 बूंदें रोगी के नेत्रों में दिन में 2-3 बार डालें। इस प्रयोग से आँखों की खुजली, आँखों में पानी बहना, नेत्र लालिमा आदि विभिन्न नेत्र रोगों में लाभ होता है।
* गुलाबी फिटकरी आधा ग्राम, गुलाब अर्क 40 मिली में डालकर 3-3 बूंद आँखों में तीन बार डालें और कनपटी पर गीले चूने का एक इंच लेप कर दें। नीम के उबाले पानी से नेत्रों को धोएँ।
चेतावनी : आँखें शरीर का सबसे नाजुक अंग होती है अत: उपरोक्त कोई भी प्रयोग अमल में लाने से पूर्व अपने निजी चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।