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ठण्डाई : गर्मी में शीतलता देने वाली

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ग्रीष्म ऋतु में जब शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ जाने से कुछ व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं, तब दिन में एक बार ठण्डाई का सेवन करने से बड़ी राहत मिलती है। शरीर में तरोताजगी एवं चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है। शरीर को पोषण भी मिलता है और गर्मी का मुकाबला करने की क्षमता और शक्ति भी मिलती है।

यूँ तो ठण्डाई का मसाला बाजार में तैयार मिलता है, जिसे लाकर घोंट-छानकर सेवन किया जा सकता है पर हम यहाँ ठण्डाई के उपयोगी नुस्खे का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

जो व्यक्ति सभी द्रव्यों को अलग-अलग खरीदकर लाना चाहे और सब द्रव्यों को उचित मात्रा में मिलाकर घर पर ही ठण्डाई का मिश्रण तैयार करना चाहे, वो इस नुस्खे का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना गुणवत्ता, शुद्धता एवं प्रत्येक द्रव्य को उचित मात्रा में मिश्रण करने की दृष्टि से अच्छा ही होगा।

सामग्री : धनिया, खसखस के दाने, ककड़ी के बीज, गुलाब के फूल, काहू के बीज, खस कुलफे के बीज, सौंफ, काली मिर्च, सफेद मिर्च और कासनी, सभी 11 द्रव्य 50-50 ग्राम। छोटी इलायची, सफेद चन्दन का बूरा और कमल गट्टे की गिरी, तीनों 25-25 ग्राम। इन सबको इमामदस्ते में कूटकर पीस लें और बर्नी में भर लें। एक बात का खयाल रखें कि कमल गट्टे की गिरि और चन्दन का बूरा खूब सूखा हुआ होना चाहिए। कमल गट्टे के पत्ते और छिलके हटाकर सिर्फ गिरि ही लेना है। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा एक व्यक्ति के लिए काफी होती है। जितने व्यक्तियों के लिए ठण्डाई घोंटना हो, प्रति व्यक्ति 10 ग्राम के हिसाब से ले लेना चाहिए।

सेवन विधि और लाभ

* जिनको अम्ल पित्त, पित्त प्रकोप और उदर में ज्यादा गर्मी होने की तथा पेट में जलन होने की शिकायत हो, मुँह में छाले होते रहते हों, आँखों और पेशाब में जलन हुआ करती हो, उन्हें ठण्डाई का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। इससे यह सभी शिकायतें दूर होंगी।

* शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ जाने से तथा पित्त के कुपित रहने से जिन्हे स्वप्नदोष और शीघ्रपतन होने की शिकायत हो, स्त्रियों को रक्तप्रदर होता हो, उन्हें 40 दिन तक नियमित रूप से ठण्डाई का सेवन करने से लाभ हो जाता है।

* सुबह के वक्त ठण्डाई का सेवन करने से किसी किसी को जुकाम हो जाता है। ऐसी स्थिति में जुकाम ठीक न होने तक ठण्डाई का सेवन न करें। 2-3 दिन में शरीर में संचित हुआ कफ, नजला-जुकाम के जरिये निकल जाएगा और जुकाम अपने आप ठीक हो जाएगा। यदि फिर भी हो जाए तो फिर ठण्डाई का सेवन सुबह के वक्त न करके दोपहर बाद करना चाहिए।

* नियमित रूप से पौष्टिक ठण्डाई का सेवन करने से शरीर में ताजगी और शीतलता बनी रहती है, दिमागी ताकत बनी रहती है, गर्मी से कष्ट नहीं होता, शरीर में जलयांश की कमी (डिहायड्रेशन), लू लगना, डायरिया, उलटी-दस्त-हैजा आदि व्याधियाँ नहीं होतीं, मुँह सूखना, आँखों में जलन होना, पेशाब में रुकावट या कमी, अनिद्रा, पित्तजन्य सिर दर्द, कब्ज रहना, ज्यादा पसीना आना, स्त्रियों को अधिक रक्त स्राव होना आदि शिकायतें नहीं होती।

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