नईदिल्ली: तरीका अलग हो सकता है लेकिन कहानी वही है। लंदन, मेलबर्न, बर्मिंघम और अब केपटाउन में वही कहानी दोहराई गई। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ट्रॉफी तक पहुंचने से पहले ही नॉकआउट में बाहर हो गई।दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी महिला टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जीत की स्थिति में होने के बावजूद पांच रन की हार ने भारतीय महिला टीम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वनडे विश्वकप 2017 के फाइनल में पहुंचने से भारत ने महिला क्रिकेट में क्रांति ला दी थी। उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब इससे एक कदम आगे बढ़ेगी और ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती देगी, लेकिन छह साल बाद भी कहानी में कोई बदलाव नहीं हुआ।
भारत गुरुवार को केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंच गया था लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे।
नॉकआउट का दंश फिर लगा महिला क्रिकेट पर
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जबकि भारत नॉकआउट में बाहर हो गया हो। वनडे विश्व कप 2017 में वह फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था। इसके बाद 2018 में टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में फिर से इंग्लैंड उसके सामने रोड़ा बना था। भारतीय टीम पिछले टी-20 विश्व कप के मेलबर्न में खेले गए फाइनल और पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक मैच में भी हार गई थी। इन दोनों अवसरों पर उसे आस्ट्रेलिया ने पराजित किया।
वर्तमान विश्वकप के लीग चरण में भारतीय टीम का प्रदर्शन असंगत रहा था लेकिन सेमीफाइनल में वह जीत की स्थिति में थी। लचर क्षेत्ररक्षण और औसत गेंदबाजी के बावजूद हरमनप्रीत और जेमिमा रोड्रिग्स की बल्लेबाजी से भारत जीत की स्थिति में था।
ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय टीम इस तरह के दबाव वाले मैचों में अनुकूल परिणाम क्यों हासिल नहीं करती। क्या यह टीम के चयन से जुड़ा कोई मुद्दा है या फिटनेस जिसके कारण क्षेत्ररक्षण बेहद खराब रहा। या फिर टीम की रणनीति या कुछ और।
गुरुवार को भारत का क्षेत्ररक्षण बेहद खराब रहा और क्षेत्ररक्षण कोच शुभादीप घोष को कई सवालों के जवाब देने होंगे। भारत के खराब क्षेत्ररक्षण के कारण ऑस्ट्रेलिया 25 से 30 रन अधिक बनाने में सफल रहा। शेफाली वर्मा ने आसान कैच टपकाया तो विकेटकीपर रिचा घोष ने मेग लैनिंग को स्टंप आउट करने का आसान मौका गंवाया।
बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट खराब, डॉट गेंदो ने किया परेशान
भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट भी अच्छा नहीं था। शेफाली, दीप्ति शर्मा, यस्तिका भाटिया और कप्तान हरमनप्रीत का टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 110 से कम था। वर्तमान क्रिकेट में 130 से कम का स्ट्राइक रेट अच्छा नहीं माना जाता है।स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 138.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था। U19 Women World विजेता टीम की कप्तान दक्षिण अफ्रीका में 2 महीने रहने के बावजूद शेफाली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रही हैं और गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों की उनकी कमजोरी को भुना रहे हैं।जूनियर विश्वकप में उन्होंने खूब बल्ला भांजा लेकिन यहां वह बुरी तरह फ्लॉप रहीं।
टॉप 10 बल्लेबाजों में से सिर्फ स्मृति मंधाना ही 151 रनों के साथ भारतीय नाम दिखती है। पांचवे स्थान पर स्मृति इस कारण रहीं क्योंकि उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ ही 87 रन बनाए जो कुल रनों के आधे से ज्यादा है।ऐसे में सलामी बल्लेबाज एस मेघना को मौका दिए जाने की जरूरत है।
स्पिन की मुफीद पिचों पर भी स्पिनरों ने किया निराश
वह बहुत पुरानी बात नहीं जबकि स्पिनरों को भारत का मजबूत पक्ष माना जाता था लेकिन विश्व कप में उन्होंने निराश किया। राजेश्वरी गायकवाड़ टूर्नामेंट में एक भी विकेट नहीं ले पाई जबकि दीप्ति और राधा यादव भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।दीप्ति शर्मा ने 6 विकेट जरूर लिए लेकिन वह 102 गेंद पर 132 रन दे चुकी थी।सेमीफाइनल में पूजा की जगह टीम में शामिल हुई स्नेह राणा को कंगारूओं ने खूब कूटा।
तेज गेंदबाजी विभाग में रेणुका सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया, टी-20 विश्वकप के टॉप 10 गेंदबाजों में सिर्फ वह ही अकेली भारतीय है जिन्होंने 7 विकेट लिए हैं। लेकिन शिखा पांडे वापसी पर प्रभावित नहीं कर पाई। इस विभाग में विकल्पों की कमी चिंता का विषय है। बाएं हाथ की तेज गेंदबाज अंजलि सर्वानी को एक मैच में भी नहीं खिलाया गया। मेघना सिंह को भी मौका नहीं दिया गया।टीम ने एकमात्र पेस ऑलराउंडर पूजा वस्त्राकर पर कुछ ज्यादा ही भरोसा कर लिया लेकिन ना ही वह बल्ले से कुछ कमाल कर पाई ना ही गेंद से।
अब यही उम्मीद कर सकते हैं कि महिला प्रीमियर लीग से तेज गेंदबाजी विभाग में कुछ नई प्रतिभाएं सामने आएंगी।भारतीय टीम के पास स्थाई कोचिंग स्टाफ नहीं होना भी सवाल पैदा करता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोचों को महिला टीम से जोड़ने के चलन से बचना होगा।अगला विश्वकप 18 महीने बाद होना है और भारत को उसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।