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अप्रैल फूल डे आज : जानें मूर्ख दिवस की रोचक कहानी और इतिहास

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WD Feature Desk

April fools day 2024
 
HIGHLIGHTS
 
• 1 अप्रैल क्यों मनाया जाता है मूर्ख दिवस।
• 1 अप्रैल मूर्ख दिवस की रोचक कहानी।
• मूर्ख दिवस के बारे में यहां जानें। 
 
April fool Day : दुनियाभर में 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे यानी मूर्ख दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का तरीका यह होता है कि इस दिन दूसरों से शरारतें कर उन्हें मूर्ख या उल्लू बनाना का प्रयास किया जाता है। इस दिन के बारे में सबसे खास बात यह है कि इस दिन पर किए गए मजाक का कम ही लोग बूरा मानते है। मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल डे मनाने का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं होता, बल्कि केवल थोड़ी मस्ती, शरारत करके हंसी मजाक करना होता है।
 
'अप्रैल फूल बनाया, 
तो उनको गुस्सा आया, 
इसमें मेरा क्या कसूर,
जमाने का कसूर
जिसने ये दस्तूर बनाया'
 
'अप्रैल फूल' फिल्म के गाने की यह पंक्तियां 1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस के दिन सभी के जेहन में जरूर आती हैं और अपने यार-दोस्तों को मूर्ख बनाने के बाद लोग इन्हें गुनगुनाते भी हैं। 
 
तो आइए यहां हम जानते हैं कि आखि‍र क्यों और कब से मनाया जाता है मूख दिवस/ अप्रैल फूल डे-
 
आपको बता दें कि उन्नीसवीं (19वीं) शताब्दी से, अप्रैल फूल प्रचलन में है। हालांकि इस दिन कोई छुट्टी नही होती। अंग्रेजी साहित्य के पिता ज्योफ्री चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध स्थापित किया गया था। अपने पहचान वालों को बिना अधिक परेशान किए, मजाक के लिए शरारतें करने का यह उत्सव हर देश में मनाया जाता है। 
 
माना जाता है कि अप्रैल फूल मनाने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके अलावा भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का फीस्ट ऑफ फूल (बेवकूफों की दावत) भी इस त्योहार की प्रेरणा माने जाते हैं। चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था।
 
सन् 1539 में फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा जिसने अपने नौकरों को एक बेवकूफी की यात्रा पर एक अप्रैल को भेजा था। 1968 में इस दिन को जॉन औब्रे ने मूर्खों का छुट्टी का दिन कहा क्योंकि, 1 अप्रैल को बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर, लंदन के टॉवर पर एकत्रित किया गया था।
 
क्या करते हैं इस दिन : आज दुनियाभर के हास्य प्रिय और मजाकिया लोगों का दिन 'अप्रैल फूल डे' है। मजाकिया किस्म के लोग आए दिन अपने दोस्तों-परिचितों के साथ मजाक करके उन्हें बेवकूफ बनाते हैं। एक अप्रैल का दिन तो और खास है इस दिन मजाकिया स्वभाव का आदमी ही नहीं हर व्यक्ति छोटे-मोटे मजाक करने से नहीं चूकता। 
 
कुछ क्षणों की बेवकूफियों का उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं, बल्कि हंसना-हंसाना होता है। इस दिन जो बेवकूफ बन जाता है उसे 'अप्रैल फूल' कहकर चिढ़ाते हैं।
 
इस दिन लोग बिना किसी आचार संहिता के एक-दूसरे को मूर्ख बनाने के लिए दिल खोलकर झूठ बोलकर, ऊट-पटांग बातें कहकर, झूठे आरोप लगाकर, गलत सूचनाएं आदि देकर मूर्ख बनाने के कई सारे फंडे अपनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। हर किसी का मकसद यही कि किसी तरह परिवार या दोस्तों को मूर्ख दिवस की टोपी पहनाई जा सके और निश्छल हंसी-मजाक का आनंद उठा सकें और दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर सकें। यही इस‍ दिन का उद्देश्य भी हैं।

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April fool Day

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