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9 अगस्त: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिवस, जानें महत्व और इतिहास

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 5 अगस्त 2025 (13:54 IST)
Quit India Movement: 09 अगस्त का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज है। इसी दिन, यानी 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक घटनाओं में से एक था।ALSO READ: 15 अगस्त से जुड़ी 15 रोचक बातें, जो शायद ही जानते होंगे आप
 
आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और इतिहास:
 
इतिहास: कैसे शुरू हुआ यह आंदोलन? दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की सहमति के बिना उन्हें युद्ध में शामिल कर लिया था। इससे भारतीय नेताओं में भारी रोष था। जब ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, तो महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने का आखिरी और निर्णायक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया।
 
08 अगस्त 1942: मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में 'भारत छोड़ो प्रस्ताव' पारित किया गया। इसी दिन गांधी जी ने 'करो या मरो' का प्रसिद्ध नारा दिया, जिसका अर्थ था कि या तो हम भारत को आजाद करा लेंगे, या इस प्रयास में अपने प्राण दे देंगे।
 
09 अगस्त 1942: प्रस्ताव के अगले ही दिन, 9 अगस्त को इस आंदोलन की शुरुआत हुई। लेकिन अंग्रेजों ने तुरंत ही गांधी जी समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। 
 
नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भी यह आंदोलन रुका नहीं, बल्कि देश भर में फैल गया। छात्रों, मजदूरों और किसानों ने खुद ही इस आंदोलन का नेतृत्व संभाला। देश के अलग-अलग हिस्सों में हड़तालें, प्रदर्शन और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। यह आंदोलन दर्शाता है कि राष्ट्रवाद की भावना कितनी गहराई तक लोगों में समा चुकी थी।
 
अंतिम और निर्णायक लड़ाई तथा जनता का नेतृत्व, जानें 09 अगस्त का महत्व: 
भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजों को यह साफ कर दिया था कि अब भारत को ज्यादा समय तक गुलाम बनाए रखना संभव नहीं है। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई को एक नई दिशा और गति दी। यह आंदोलन इसलिए भी खास था क्योंकि नेताओं की अनुपस्थिति में जनता ने खुद की कमान संभाली। यह भारतीय जनता के अदम्य साहस और एकता का प्रतीक बन गया।
 
महिला शक्ति का उदय: इस आंदोलन में अरुणा आसफ अली जैसी महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 'अगस्त क्रांति की ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने 09 अगस्त को गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराया था। 
 
आज भी 9 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।ALSO READ: 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस: भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट

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