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जनता का प्रथम सेवक

हमें फॉलो करें जनता का प्रथम सेवक
1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया भाष

WDWD
आज एक शुभ और मुबारक दिन है। जो स्वप्न हमने बरसों से देखा था, वह कुछ हमारी आँखों के सामने आ गया। चीजें हमारे कब्जे में आईं। दिल हमारा खुश होता है कि एक मंजिल पर हम पहुँचे। यह हम जानते हैं कि हमारा सफर खत्म नहीं हुआ, अभी बहुत मंजिलें बाकी हैं। लेकिन, फिर भी, एक बड़ी मंजिल हमने पार की और यह बात तय हो गई कि हिन्दुस्तान के ऊपर कोई गैर हुकूमत अब नहीं रहेगी।

आज हम एक आजाद लोग हैं, आजाद मुल्क हैं। मैं आपसे आज जो बोल रहा हूँ, एक हैसियत, एक सरकारी हैसियत मुझे मिली है, जिसका असली नाम यह होना चाहिए कि मैं हिन्दुस्तान की जनता का प्रथम सेवक हूँ। जिस हैसियत से मैं आपसे बोल रहा हूँ, वह हैसियत मुझे किसी बाहरी शख्स ने नहीं दी, आपने दी है और जब तक आपका भरोसा मेरे ऊपर है, मैं इस हैसियत पर रहूँगा और उस खिदमत को करूँगा।

  आजादी तभी एक ठीक पोशाक पहनती है जब जनता को फायदा हो। आजकल हमारे सामने ये आर्थिक और इख्तसादी सवाल बहुत सारे हैं, बहुत काफी जमा हुए हैं, जो हमारी गुलामी के जमाने के हैं।      
हमारा मुल्क आजाद हुआ, सियासी तौर पर एक बोझा, जो बाहरी हुकूमत का था, वह हटा। लेकिन आजादी भी अजीब-अजीब जिम्मेदारियाँ लाती है और और बोझे लाती है। अब उन जिम्मेदारियों का सामना हमें करना है और एक आजाद हैसियत से हमें आगे बढ़ना है और अपने बड़े-बड़े सवालों को हल करना है। सवाल बहुत बड़े हैं।

सवाल हमारी सारी जनता का उद्धार करने का है, हमें गरीबी को दूर करना है, बीमारी को दूर करना है, अनपढ़पने को दूर करना है और आप जानते हैं, कितनी और मुसीबतें हैं, जिनको हमें दूकरना है। आजादी महज एक सियासी चीज नहीं है।

आजादी तभी एक ठीक पोशाक पहनती है जब जनता को फायदा हो। आजकल हमारे सामने ये आर्थिक और इख्तसादी सवाल बहुत सारे हैं, बहुत काफी जमा हुए हैं, जो हमारी गुलामी के जमाने के हैं। बहुत कुछ पिछली लड़ाई की वजह से, पिछली बड़ी लड़ाई जो दुनिया में हुई और उसके बाद जो हालात दुनिया में हुए हैं उसकी वजह से ये सवाल जमा हैं। खाने की कमी है, कपड़े की कमी है और जरूरी चीजों की कमी है और ऊपर से चीजों के दाम बढ़ते जाते हैं, जिससे जनता की मुसीबतें बढ़ रही हैं।

हम इन सब बातों को कोई जादू से दूर नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी हमारा फर्ज है कि इन सवालों को लेकर जनता को आराम पहुँचाएँ और पूरे तौर से इन सवालों को हल करने की भी कोशिश करें। लेकिन इसके पहले एक और सवाल है और वह यह है कि सारे हमारे देश में अमन हो, शांति हो, आपस के लड़ाई-झगड़े बिलकुल बंद हों, क्योंकि जब तक लड़ाई-झगड़े होते हैं उस वक्त तक कोई काम माकूल तरीके से नहीं हो सकता।

तो यह आपसे मेरी पहली दरख्वास्त है और आज जो हमारी नई गवर्नमेंट बनी है उसने भी आज यह पहली दरख्वास्त हिन्दुस्तान से की है- जो आप शायद कल सुबह के अखबारों में प़ढ़ें-वह यह है कि यह जो आपस की नाइत्तिफाकी, आपस के झगड़े हैं, वे फौरन बंद किए जाएँ। क्योंकि आखिर अगर, नाइत्तिकाफी है, तो वह भी इन झगड़ों और मारपीट से किस तरह से हल होगी। आपने देख लिया कि एक जगह झगड़ा होता है, दूसरी जगह उसका बदला होता है। उसका कोई अंत नहीं और ये बातें आजाद लोगों को कुछ जेब नहीं देती है। ये गुलामी की बातें हैं।

हमने कहा कि हम इस देश में प्रजातंत्रवाद चाहते हैं। प्रजातंत्रवाद में, डेमोक्रेसी में, इस तरह की बातें नहीं होतीं। जो सवाल है, हमें आपस में सलाह-मशविरा करके, एक-दूसरे का ख्‍याल करके हल करने हैं। और अपने फैसले पर अमल करना है।

इसलिए पहली बात तो यही है कि हमें फौरन अपने इस किस्म के सारे झगड़े बंद करने हैं। फिर फौरन ही हमें वे बड़े आर्थिक सवाल उठाने हैं, जिनका अभी मैंने आपसे जिक्र किया। हमारा जमीन का, बहुत सारे प्रांतों में जमीन का जो कानून है, आप जानते हैं, वह कितना पुराना है, कितना उसका बोझा हमारे किसानों पर रहा है और इसलिए अरसे से हम उसको बदलने की कोशिश कर रहे हैं और जो जमींदारी प्रथा है, उसको भी हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस काम को भी हमें जल्दी करना है और फिर हमें सारे देश में बहुत-कुछ आर्थिक तरक्की करनी है, कारखाने खोलने हैं, घरेलू धंधे बढ़ाने हैं, जिससे देश की धन-दौलत बढ़े और इस तरह से नहीं बढ़े की वह थोड़ी से जेबों में जाए, बल्कि आम जनता को उससे फायदा हो। आप शायद जानते हैं कि हमारी बड़ी-बड़ी स्कीमें हैं, हिन्दुस्तान में काम करने के बड़े-बड़े नक्शे हैं। बहुत सारी जो नदियाँ और दरिया हैं, उनके पानी की ताकत से फायदा उठाकर हम नई-नई ताकत पैदा करें, बड़ी-बड़ी नहरें बनाएँ और बिजली पैदा करें, जिस ताकत से कि हम फिर और बहुत काम कर सकेंगे। इन सब बातों को हमें चलाना है, तेजी से चलाना है, क्योंकि आखिर में देश की धन-दौलत इसी से बढ़ेगी और उसके बाद जनता का उद्धार होगा।

बहुत सारी बातें मुझे आपसे कहनी हैं और बहुत सारी बातें मैं आपसे कहूँगा। लेकिन आज सिर्फ ये दो-चार बातें मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि मुझे आइंदा मौके होंगे कि कैसे-कैसे हम काम कर रहे हैं, कैसे-कैसे हमारे दिमाग में विचार हैं, वह सब मैं आपके सामने पेश करूँगा। क्योंकि प्रजातंत्रवाद में हमेशा जनता को मालूम होना चाहिए कि क्या हम करते हैं, क्या हम सोचते हैं। और वह उसको पसंद होना चाहिए। उसी की सलाह से सब काम होना चाहिए। इसलिए यह जरूरी है कि आपसे हमारा संबंध बहुत करीब का रहे।

आज मैं अधिक नहीं कहना चाहता। लेकिन, यह मैं जरूर चाहता था कि आज के शुभ दिन आपसे मैं कुछ कहूँ, आपसे एक पुराना संबंध कुछ न कुछ ताजा करूँ। इसलिए मैं आज आपके सामने हाजिर हुआ। फिर से मैं आपको इस शुभ दिन की मुबारकबाद देता हूँ। लेकिन उसी के साथ आपको याद दिलाता हूँ कि हमारी जिम्मेदारियाँ जो हैं इसके माने हैं कि हमें आइंदा आराम नहीं करना, बल्कि मेहनत करनी है, एक-दूसरे के सहयोग के साथ काम करना है, तभी हम अपने बड़े सवालों को हल कर सकेंगे।

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