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हम हैं आजाद भारतीय

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गायत्री शर्मा

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आज खुला अंबर है। दूर-दूर तक फैला क्षितिज है और हम आजाद हैं। हम हमेशा इस बात का रोना रोते हैं कि हमने क्या खोया, लेकिन यह कोई नहीं सोचता कि हमने आजादी के बाद क्या पाया। आज हम पूर्णतया आजाद हैं। हमारे लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है। यह जश्न मनाने का दिन है, बीती बातों को भुनाने का नहीं।

'ये मत सोचो कि इस देश ने तुम्हें क्या दिया, बल्कि ये सोचो कि तुमने देश को क्या दिया' किसी महान व्यक्ति द्वारा कही गई ये पंक्तियाँ राष्ट्र के संदर्भ में हमें बिना किसी शर्त के हमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए प्रेरित करती है।

हम खुशकिस्मत हैं जो अपने देश में आजादी की साँस ले रहे हैं। आज हमारे देश में हमें विचारों की अभिव्यक्ति की, शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने की और स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करने आदि की स्वतंत्रता है, पर शायद यह भी हमें रास नहीं आ रही है।

अपने ही देश पर कीचड़ उछालने से पहले हम जरा उन इस्लामिक देशों की स्थिति के बारे में तो सोचें जहाँ महिलाएँ बुर्के के बिना बाहर नहीं निकल सकतीं, जहाँ कोई खुलेआम अपनी आवाज नहीं उठा सकता है। वहाँ तानाशाही चलती है और उसका विरोध करने वाले को मौत का फतवा सुनाया जाता है।

आज हम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब कुछ हैं। हमारे धर्म व वेशभूषा में भले ही विविधता है पर दिलों में एकता है। आज 'भारतीयता' का सूत्र हम सभी के दिलों को जोड़े हुए है।

365 दिनों में से केवल दो दिन ही ऐसे होते हैं जब हम अपने वतन, अपनी भारत माता को नमन करते हैं। क्यों न हम आजादी के इस पावन पर्व को उसी जोश व जुनून से मनाएँ। जिस जोश से हम अन्य पर्व मनाते हैं।

इस बार आजादी की एक नई शुरुआत कीजिए - एक नई सोच के साथ। आइए, आज कुछ सोचें अपने वतन के लिए। हममें से जो जैसा भी है, जहाँ भी है, यदि अपने देश के काम आ जाए तो ये हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

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