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‘विकास’ स्वतंत्रता का दूसरा पहलू

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गरिमा माहेश्वरी

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भारत, 15 अगस्त 1947 को एक आजाद देश के रूप में उभरकर सामने आया। इसी दिन भारत को अपनी किस्मत खुद लिखने का सुनहरा अवसर मिला था और उस दिन से लेकर आज तक इस देश ने इतनी प्रगति कर ली है कि इस आज़ाद देश को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। कृषि से लेकर परमाणु विज्ञान तक ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ भारत की मौजूदगी न हो। आज भारत ने भी अपनी जगह सर्वसंपन्न देशों की सूची में बना ली है और निरंतर विकास की ओर अग्रसर इस देश ने अब अपनी पकड़ आईटी के क्षेत्र में भी बना ली है।

आईटी उद्योग को भारत में अपनी पहली पहचान 1980 के शुरुआती दौर में मिली। 22 मई 1998 में भारत के प्रधानमंत्री ने निपुण लोगों का एक समूह बनाया जो कि देश में आईटी और सॉफ्टवेयर के विकास के लिए ही कार्यरत थे। यह आईटी और उससे जुड़ी तकनीक की ओर भारत का पहला कदम था। उस समय एक वेबसाइट भी बनाई गई जिसके माध्यम से लोगों के सुझाव जानकर इस विकास की प्रक्रिया को और भी सुचारु रूप से संचालित करने के प्रयास किए गए।

  आज इतने सालों की मेहनत और परिश्रम के परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियाँ और आईटी प्रोफेशनल्स दोनों ही दुनिया की बेहतरीन कंपनियों और प्रोफेशनल में से एक माने जाते हैं।      
1980 के दौरान कई कंपनियों ने अपनी कंपनी के प्रोफेशनल्स को कस्टमर साइट पर भेजकर उनके सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट लेने शुरू कर दिए थे और इसी तरह भारत में आईटी कंपनियों के विकास की शुरुआत हुई।

1990 तक आते-आते भारतीय आईटी कंपनियाँ देश-विदेश के बाज़ारों में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गई थीं। इसके बाद तो भारतीय कंपनियों के पास ऑफ-शोर डेवलपमेंट के प्रस्तावों की कोई कमी नहीं थी। आज इतने सालों की मेहनत और परिश्रम के परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियाँ और आईटी प्रोफेशनल्स दोनों ही दुनिया की बेहतरीन कंपनियों और प्रोफेशनल में से एक माने जाते हैं।

इतनी सफलता मिलने के बाद भी भारतीय आईटी कंपनियाँ अपनी सफलता से बहुत ज़्यादा संतुष्ट नहीं हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारतीय आईटी कंपनियाँ कई उत्पादों के निर्माण में सहयोगी तो रही हैं, लेकिन ये कंपनियाँ अपने उत्पाद अपने ब्रांड के अंतर्गत बाज़ार में नहीं उतार पातीं। ये कंपनियाँ अपने उत्पाद बनाकर, अपने ब्रांड नेम के साथ बाज़ार में उतारने के लिए तत्पर हैं लेकिन भारतीय बाज़ार अभी इस तरह के प्रयोग के लिए बिलकुल तैयार नहीं है।

भारत में आईटी के विकास से बहुत से परिवर्तन आ गए हैं जैसे रेलवे टिकिट अब आसानी से इंटरनेट के माध्यम से करवाया जा सकता है। इंटरनेट के विकास ने भारत में एक और विकास की नींव रखी है जिसे ई-कॉमर्स कहा जाता है।
ई-कॉमर्स ने भारत के आर्थिक विकास में बहुमूल्य योगदान दिया है।

आजकल इंटरनेट के माध्यम से खरीददारी करने की जो सहूलियत हमें मिली हैं, उसी को तकनीकी भाषा में ई-कॉमर्स कहा जाता है। ई-कॉमर्स के बढ़ते चलन की वजह से, इसके माध्यम से खरीददारी करने वाले ग्राहकों की संख्या, दुकानों से खरीददारी करने वाले ग्राहकों की संख्या से 3 गुना है। यही वजह है कि ज़्यादा से ज़्यादा दुकानदार इससे जुड़ना चाहते हैं।

आईटी की वजह से कई क्षेत्रों में विकास के नए अवसर खुल गए हैं। इनमें से कुछ क्षेत्र हैं - * मेडिकल साइंस * ई-कामर्स * कृषि * परमाणु विज्ञान आदि तकनीक के इस निरंतर विकास से भारत नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हुए विश्व के मानचित्र पर अपनी एक नई पहचान बना चुका है। इस पहचान को बनाए रखना अब देशवासियों की ही ज़िम्मेदारी है।

जिस तरह स्वतंत्रता, ‘चाह और स्वतंत्र होने की इच्छा’ पर निर्भर होती है, उसी तरह विकास और प्रगति भी। कहा गया है कि ‘किसान अपने खेत में फसल सिर्फ सपने में अपने खेत में बीज बोने से नहीं पा सकता, उसके लिए उसे खुद ही परिश्रम और प्रयास करने होंगे।’

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