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आजादी के 62 साल और सूचना क्रांति‍

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- अरुंधती आमड़ेकर

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स्‍वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत में महात्‍मा गाँधी ने ग्रामीण भारत के वि‍कास को प्रेरि‍त करने के लि‍ए वैज्ञानि‍क शक्ति‍यों के दोहन की आवश्‍यकता पर प्रकाश डालते हुए 'जन आंदोलन के लि‍ए वि‍ज्ञान' का मंत्र दि‍या था। नि‍श्चि‍त रूप से वि‍ज्ञान का कि‍सी भी देश के वि‍कास में बहुत बड़ा योगदान होता है।

आजादी के बाद 62 सालों में भारत की तकनीकी ताकत ने उसे और ऊँची उड़ान भरने के लि‍ए नए पंख दि‍ए हैं। कम संसाधनों के बावजूद हमने अंतरि‍क्ष तकनीक, सूचना प्रौद्योगि‍की और दूरसंचार के क्षेत्र में अन्‍य देशों से बेहतर कर दि‍खाया है।

भारत आज एक वैश्‍वि‍क साफ्टवेयर और बीपीओ (बि‍जनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) सेवा प्रदाता के रूप में उभर रहा है। 2007 के वि‍त्तीय वर्ष में आईटी क्षेत्र से होने वाली भारत की आय 47 अरब डॉलर थी जो वर्ष 2006 की तुलना में 30 प्रति‍शत अधि‍क थी। साथ ही इस क्षेत्र में 10 लाख 60 हजार लोगों को रोजगार भी मि‍ला। देश में अनुसंधान और वि‍कास के क्षेत्र में कई ऐसी परि‍योजनाएँ चालू हैं जो देश को नई दिशा दे रही हैं, सोच बदल रही हैं और जोखि‍म उठाने की प्रवृत्ति‍ को प्रोत्‍साहि‍त कर रही हैं।

भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ने भी पि‍‍छले वर्षों में वि‍श्व पटल पर प्रभावी छाप छोड़ी है। भारत अब चीन और अमेरि‍का के बाद वि‍श्व का तीसरा सबसे बड़ा टेलीफोन नेटवर्क बन गया है। इसके अलावा भारत दुनि‍या का दूसरा सबसे बड़ा वायरलेस मार्केट है जि‍समें वर्तमान में 43 करोड़ 50 लाख वायरलैस उपभोक्‍ता शामि‍ल हैं और 2013 तक 77 करोड़ 10 लाख उपभोक्‍ताओं तक पहुँचने का लक्ष्‍य है। इसके अलावा भारत में 3 करोड़ 76 लाख 60 हजार लैंडलाइन उपभोक्‍ता हैं। साथ ही 21 करोड़ 50 लाख पीसीओ भी हैं। भारत में सेल फोन दरें दुनि‍या में सबसे कम हैं। ताजा रि‍पोर्ट के मुताबि‍क जुलाई 2009 में भारत में 94.80 लाख नए मोबाइल फोन उपभोक्ता बने। इनके साथ ही देश में मोबाइल ग्राहकों की संख्या बढ़कर 32.57 करोड़ हो गई है।

सार्वजनि‍क क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार नि‍गम लि‍मि‍टेड उपभोक्‍ताओं की संख्‍या के अनुसार वि‍श्‍व की सातवीं सबसे बड़ी कंपनी है। वर्ष 2007 की एक रि‍पोर्ट के मुताबि‍क भारत का मोबाइल फोन मार्केट वि‍श्व का सबसे तेज बढ़ने वाला बाजार है जि‍समें हर महीने 60 लाख नए उपभोक्ता जुड़ते हैं।

सार्वजनि‍क क्षेत्र के साथ ही आइडि‍या, एयरटेल, टाटा, रि‍लायंस जैसी नि‍जी दूरसंचार कंपनि‍यों ने भी भारत के दूरसंचार व्‍यवसाय को प्रगति‍ देने में महत्‍वपूर्ण योगदान दि‍या है।

पि‍छले दो वर्षों में भारत और चीन कम्प्‍यूटर की बि‍क्री में दुनि‍याभर में अव्‍वल रहे हैं और इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्‍या भी भारत में बढ़कर 30 करोड़ हो गई है और ऑनलाइन आबादी के मामले में भारत तीसरे नंबर पर आ गया है।

मंदी की बात करें तो एक ओर जहाँ पूरे वि‍श्व की अर्थव्‍यवस्‍था मंदी की मार से चरमराई हुई है वहीं दूसरी ओर भारत में मंदी उतना प्राक्रम नहीं दि‍खा पाई जि‍तना उसने दूसरे देशों को भयभीत कर रखा है। भारत में इसका प्रभाव अपेक्षाकृत कम है। हाँ, नौकरि‍यों में कमी जरूर हुई है लेकि‍न दूसरी देशों की तुलना में हम अभी भी बेहतर स्‍थि‍ति‍ में हैं। भारत की कई बड़ी आईटी कंपनि‍यों को तो मंदी के दौर में भी कई बड़े प्रोजेक्‍ट मि‍ले हैं, साथ ही आउटसोर्सिंग व्‍यवसाय ने में भी गति‍ पकड़ी है।

पि‍छले छ: दशकों में हमें कई चुनौति‍यों का सामना करना पड़ा जि‍नका समाधान पश्चि‍मी देशों के पास था। लेकि‍न अभी भी हमारे सामने कुछ ऐसी चुनौति‍याँ हैं जि‍नका हमें स्‍थानीय हल खोजने की जरूरत है।

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