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आजाद भारत का 63वाँ साल कैसा होगा

चाण्डाल योग बना रही है गुरु-राहु की युति

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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15 अगस्त 2009 को भारत को आजाद हुए पूरे 62 वर्ष हो जाएँगे। भारत की आजादी 63वें वर्ष में प्रवेश करेगी। आजादी के समयानुसार की कुण्डली वृषभ लग्न की ही बनती है। बस ग्रहों का परिवर्तन होता रहता है।

इस समय लग्न में तृतीय भाव का चन्द्र उच्च का होकर मारक भाव सप्तम व व्ययेश मंगल के साथ शुक्र की शत्रु राशि वृषभ में है जो अनुकूल नहीं है। इसके कारण बाहरी मामलों में बाधा का कारण बनता है।

स्त्री पक्ष को कष्ट व दैनिक व्यवसाय से जुडे़ व्यक्ति परेशानी का अनुभव करेंगे व आकस्मिक दुर्घटनाओं का भी कारण बनता है। आम जनता आर्थिक बोझ से परेशानी का अनुभव करेगी, धर्म का कारक गुरु नीच का भाग्य भाव नवम में है जो एकादश भाव-आय व आयु भाव- अष्टम का भी स्वामी है। वैसे देखा जाए तो गुरु का नीच भंग शनि के केन्द्र में होने से बनता है, राज्य भाव पर शनि की सप्तम दृष्टि पडने से राजनीतिज्ञों पर किसी भी बात का असर पड़ते नहीं दिखाई देगा। विशेष सत्ता पक्ष पर शनि की उच्च दृष्टि शत्रु भाव-षष्ट पर पड़ने से शत्रु पक्ष पर भारत भारी पड़ता नजर आएगा।

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इधर लग्न का स्वामी शुक्र मिथुन राशि का होकर द्वितीय भाव में होने से सेक्स स्कैन्डल के मामले आते रहने की संभावनाएँ रहेंगी। गुरु-राहु की युति चाण्डाल योग बना रही है इसके कारण सज्जन पुरुष परेशान होंगे व भ्रष्टाचारी मौज मनाएँगे। शनि-मंगल का दृष्टि संबंध घरेलू हिंसा की ओर इंगित करता है।

भारत की आंतरिक सुरक्षा का भी अधिक ध्यान देना होगा। राजनीतिज्ञों में भी आपसी खींचतान के आसार दिखाई देते हैं। पंचमेश व धनेश बुध चतुर्थ भाव में मित्र राशि सूर्य की सिंह में होने से, जनता पक्ष में शत्रु राशिस्थ शनि के साथ होने से मिले-जुले परिणाम रहेंगे।

सरकार महँगाई रोकने में नाकाम-सी रहेगी। आगामी एक वर्ष आम जनता के लिए राहत भरा नहीं रहेगा व जनता परेशान रहेगी। यही 63 वें वर्ष के ग्रहों के संकेत हैं।

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