कहने को तो हम स्वतंत्र देश में रहते हैं। हम दर्शाते भी ऐसा ही हैं कि हम जैसे स्वतंत्र विचारों वाले, खुली सोच वाले, खुले दिल वाले इंसान इस दुनिया में नहीं है। लेकिन हकीकत पर जब हम गौर करें तो नजारा कुछ और ही होता है, कुछ और ही दिखाई देता है।
जी हाँ! यह बात कटु जरूर है, लेकिन यह एक परम सत्य है। जहाँ आज हम स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियाँ कर रहे हैं। वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने सालों की आजादी के बाद भी हम वास्तव में आजाद नहीं है। कहने को, सुनने को हम आजाद दिख सकते हैं, लोगों के सामने अपनी प्रशंसा दिखाने और प्रशंसा पाने के लिए ऐसा भ्रम भी रच सकते हैं। लेकिन यह पूरी तरह सत्य नहीं हैं। आज भी आप भारत के किसी भी देश के किसी भी कोने में चले जाएँ कहीं न कहीं इस बात की सत्यता को जरूर परखेंगे।
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जब देश अँग्रेजों के अधीन था उस समय हर आदमी के जीवन का उद्देश्य भारत को अँग्रेजों की गुलामी से आजाद करने का था। तब उनके पास इसके अलावा और कुछ भी सोचने के लिए नहीं था। आज स्वंतत्र भारत की दुनिया का परिदृश्य ही कुछ और हैं।
इस स्वतंत्र भारत में धन लोभियों द्वारा दहेज के लिए नारियों की बली दी जाती हैं उन्हें काटा-मारा, जलाया जाता है। यहाँ तक कि उन्हें आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर किया जाता है और समाज को यह दिखाया जाता है कि वह अपनी जिंदगी से परेशान थी इसलिए उसने इतना बड़ा कदम उठाया है।
एक ओर आज जहाँ लड़कियाँ हर मुकाबले में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं तो आज भी कई घर ऐसे हैं जिसमें नारियों की वह बराबरी पुरुषों को, उनके घरवालों को रास नहीं आती। आज भी महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कोई कमी नहीं आई है। आज भी भारत में दंगे-फसाद होते ही रहते हैं। कई आतंकवादी संगठन गलत चीजों का इस्तेमाल करके भारत और उसकी स्वतंत्रता को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते रहते हैं। इससे कई घर, कई परिवार, कई गाँव-कस्बे, कितने ही इंसान तबाह हो रहे हैं।
एक तरफ सत्ताधारी नेताओं द्वारा अपराधियों के साथ की गई गठजोड़ कई असामाजिक कार्यों को अंजाम दे रही हैं। फलस्वरूप दंगों, विस्फोटों और दुर्घटनाओं से देश त्रस्त है। दंगों या बम विस्फोटों में जो भी मरे, जिनका भी नुकसान हुआ उससे किसी को कोई लेना-देना नहीं है। इससे देश के उन सफेदपोश नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता। ना ही वे इसमें अपनी रुचि दर्शाते हैं।
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आज स्वतंत्र भारत पर एक प्रश्नचिह्न लगा हुआ है! अगर सचमुच भारत देश स्वतंत्र है, आजाद है तो फिर उस आजादी की, उस स्वतंत्रता की सही मायने में क्या परिभाषा होनी चाहिए यह आम आदमी की सोच से परे है। स्वतंत्रता का अर्थ यह कतई नहीं है कि स्वच्छंद होकर मनमानी की जाए। अपनी मर्यादा को भूलकर सरेआम अनैतिक कृत्य किए जाए। देश के सभी लोग स्वतंत्रता का सही आशय समझें। नेता वर्ग और आम जनता भी अपनी सीमाएँ खुद तय करें, क्या सही क्या गलत यह करने से पूर्व सोचें तब ही स्वतंत्रता का असली आनंद उठाया जा सकता है। और तभी हम गर्व से कह सकेंगे 'हम भारतीय होने के साथ-साथ हम स्वतंत्र भी हैं।'
इस स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र देशवासियों को मेरा शत् शत् नमन !
अंत में जय हिंद! जय भारत! मेरा भारत महान................।