किसी ने देश पर बड़ी खूबसूरत पंक्तियां अभिव्यक्त की हैं।
' देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें।
पथिकों को तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया,
सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला,
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें।'
सचमुच! देश व समाज हमें इतना कुछ देता है कि हम ताउम्र उसकी सेवा करें तो कम है। लेकिन आज विडंबना यह है कि देशप्रेम, देशभक्ति या देशसेवा जैसे शब्द जेहन में आते ही सबसे पहले जो छवि सामने आती है वो है एक सैनिक की। यानी जब भी देशसेवा का जिक्र हो तो उसका सीधा सा अर्थ आम नागरिक सेना के जवान से ही लेता है। ये सही है कि सैनिक देश की सेवा करते हैं वे सीमा प्रहरी भी हैं। लेकिन ये भी सही है कि हममें से प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से देश की सेवा कर सकता है, यदि वह चाहे तो। उदाहरण के लिए देश की उन्नति में सबसे बड़ी बाधक सुरसा के मुख की तरह फैलती जनसंख्या पर नियंत्रण करना भी देश की सबसे बड़ी सेवा होगी, जिसके बारे में हर राष्ट्र हितैषी सोच सकता है। इसके अलावा कई ऐसी बातें हैं जो देखने में बड़ी छोटी नजर आती है लेकिन यदि हम ध्यान दें तो इन पर अमल कर हम वास्तव में देश की सेवा ही करेंगे।