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प्यारे वतन के लिए

शशीन्द्र जलधारी

हमें फॉलो करें प्यारे वतन के लिए
जानो-दिल कुर्बान है, मादरे हिन्द के अमन के लिए।
कस ली है कमर हमने आतंकियों के शमन के लिए॥

जननी से भी बढ़कर हमें है मुहब्बत भारत भूमि से।
इसकी खातिर हंसते-गाते चढ़ गए शहीद सूली पे।

भारत मां की अस्मत पर न उठने देंगे गलत निगाह,
हिफाजत में कटा देंगे सर, प्यारे वतन के लिए।
जानो-दिल कुर्बान है.....

भिन्ना जाति-भिन्न धर्म के खिलते हैं फूल यहां।
इतना सुन्दर मुल्क है दुनिया में और कहां?

उजड़ने न देंगे कभी ये सुन्दर गुलों की क्यारियां,
बहा देंगे हर कतरा खूं का इस बागे-चमन के लिए।
जानो-दिल कुर्बान है.....

सबसे अनूठी है भारत की तहजीब औ" रवायत।
सदा इस पर रही है रब की नेमत औ" इनायत।

हिन्दोस्तां को बनाएंगे हम दुनिया का सिरमौर,
हर इक शख्स जुटा है यहां इस सपन के लिए।
जानो-दिल कुर्बान है.....

नुक्स कभी न आने देंगे हिन्दोस्तां की शान में।
जिसको भी आना हो वो आ जाए मैदान में।

हम अगर जो बिगड़े तो फिर एक ही आन में,
लाखों तरसेंगी लाशें खुद अपने कफन के लिए।
जानो-दिल कुर्बान है.....

अवाम को नाज है अपने प्यारे तिरंगे पर।
मरने को तैयार हैं हम इसकी आनो-बान पर।

इसके फहराने से होता ऊंचा मस्तक हर एक का,
ख्वाब में भी सोच न सकते हम इसके पतन के लिए।
जानो-दिल कुर्बान है.....

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