महान देशभक्त थे अरविंद घोष
15 अगस्त की तिथि भारतीयों के लिए पवित्र
15
अगस्त की तिथि हम भारतीयों के लिए बहुत पवित्र है। कारण सभी जानते हैं। इसी दिन सदियों की गुलामी के बाद देश ने स्वतंत्रता की सांस ली थी। किंतु यह तिथि एक और कारण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इस दिन सन् 1872 को बंगभूमि में एक ऐसे बालक ने जन्म लिया था, जिसका स्थान 20वीं सदी के भारतीय दार्शनिकों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ये हैं अरविंद घोष। किंतु वे कोरे दार्शनिक ही नहीं थे। वे एक महान साहित्यकार, श्रेष्ठ कवि, दूरदृष्टा उत्कृष्ट देशभक्त तथा महान मानव-प्रेमी थे। पिता कृष्णधन घोष डॉक्टर थे, जिन्होंने इंग्लैंड से ही डॉक्टरी पढ़ी थी। विदेशी प्रभाव में वे आकंठ डूबे थे। वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे भारतीय परंपरा अथवा भाषाओं से परिचित हो इसीलिए सात वर्ष की उम्र में ही उन्हें दो भाइयों के साथ इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण करने भेज दिया।