Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

15 अगस्त : जश्न-ए-आजादी

हमें फॉलो करें 15 अगस्त : जश्न-ए-आजादी
नज्म
-फय्याज ग्वालयरी
 

 
वो आजादी बहिश्तों की हवाएं दम भरें जिसका
वो आजादी फरिश्ते अर्श पर चरचा करें जिसका
 
वो आजादी शराफत जिसकी खातिर जान तक दे दे
जवानी जीस्त के उभरे हुए अरमान तक दे दे
 
वो आजादी, परिन्दे जिसकी धुन में गीत गाते हैं
वो आजादी, सितारे जिसकी लौ में जगमगाते हैं
 
वो आजादी, जो सावन की घटाएं बन के छाती है
वो आजादी, हवा में जिसकी खेती लहलहाती है
 
वो आजादी, जो गुलजारों में खुशबू बनके रहती है
वो आजादी, कली भी जिसके बल पे, तनके रहती है
 
वो आजादी, मिली हमको बड़ी कुर्बानियां देकर
लुटाकर अपने मोती, लाजपत की पसलियां देकर
 
भगत, उधम, सुभाष, आजाद क्या खोए नहीं हमने
लहू से सींच दी 'जलियांवाला' की जमीं हमने
 
विदेशी मालकी घर-घर जलाईं होलियां हमने
निहत्थे थे, पर आगे बढ़के खाईं गोलियां हमने
 
जमाने को नया इक रास्ता दिखला दिया हमने
अहिंसा और सत्य के बल पे जीता मोर्चा हमने
 
हमारे दिल से पूछो दिल पे क्या-क्या जख्म खाए हैं
मिला जो कुछ उसी को अब कलेजे से लगाए हैं
 
वो दिन आया कि अपना देश, आज आजाद-ए-कामिल है
नया सिक्का, नई अजमत, नई तौकीर हासिल है
 
हिमालय की तरह दुनिया में आज ऊंचा है सर अपना
कि राज अपना है, काज अपना है, घर अपना है, दर अपना
 
खड़े होंगे अब अपने पांव पर, हम अपनी ताकत से
करेंगे देश को आजाद गुरबत से, जहालत से
 
कोई भारत में अब दुख से तड़पता रह नहीं सकता
गुलामी ऐसी आजादी से अच्छी कह नहीं सकता
 
किसी के सामने अब अपनी गर्दन झुक नहीं सकती
खुदा चाहे तो भारत की तरक्की रुक नहीं सकती।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आरबीआई ने किया मौद्रिक नीति का ऐलान, जानिए क्या है इसमें खास...