Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

15th August 2024 : भारत विभाजन का क्या था 'माउंटबेटन प्लान'?

इस तरह रची गई भारत विभाजन की साजिश

हमें फॉलो करें Partition of India

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 (11:20 IST)
78th independence day 2024:  हमारा देश 1947 में आजाद हुआ था। इस बार 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा लेकिन भारत की आजादी की खुशी के साथ ही भारत विभाजन का दर्द भी दोनों ओर की जनता ने झेला था। भारत की अधिकतर जनता विभाजन नहीं चाहती थी लेकिन अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति के तहत विभाजन हुआ। जानते हैं कि विभाजन का क्या था माउंटबेटन प्लान।ALSO READ: 15th August 2024: भारत के गुमनाम क्रांतिकारी, जानिए उनकी कहानी
 
1. जब हिंदू और मुसलमान मिलकर आजादी का आंदोलन लड़ रहे थे उससे पहले ही अंग्रेजों के दिमाग में एक फितूर आकार ले चुका था। भारत को बांटने का फितूर।
 
2. 'फूट डालो और राज करो की नीति' तो 1774 से ही चल रही थी लेकिन अंतत: 1857 की असफल क्रांति के बाद से अंग्रेजों ने भारत को तोड़ने की प्रक्रिया के तहत हिंदू और मुसलमानों को अलग-अलग दर्जा देना प्रारंभ किया।
 
3. दूसरी ओर उन्होंने शिया और सुन्नी को अलग-अलग किया और हिंदुओं में ऊंच-नीच और प्रांतवाद की भावनाओं का क्रमश: विकास किया गया और अंतत: लॉर्ड इर्विन के दौर से ही भारत विभाजन के स्पष्ट बीज बोए गए। माउंटबेटन तक इस नीति का पालन किया गया।
 
4. भारत विभाजन के मंसूबों को 3 जून प्लान या 'माउंटबेटन प्लान' का नाम दिया गया। तमाम मुस्लिम नेताओं को जो भारत और कांग्रेस के लिए जान देने के लिए तैयार थे इस प्लान के तहत बरगलाए गए। 
 
5. अंतत: 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की। मोहम्मद अली जिन्नाह हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्ष में थे, लेकिन विंसटन चर्चिल ने उन्हें इस बात के आखिरकार मना ही लिया की मुसलमानों का भविष्य हिंदुओं के साथ सुरक्षित नहीं है। आखिरकार लाहौर में 1940 के मुस्लिम लीग सम्मेलन में जिन्नाह ने साफ तौर पर कहा कि वह दो अलग-अलग राष्ट्र चाहते हैं।ALSO READ: 15 August Essay : 15 अगस्त /स्वतंत्रता दिवस पर रोचक हिन्दी निबंध
 
6. भारत के विभाजन से लाखों लोग दर-बदर हो गए। लगभग 5 लाख निर्दोषों की जान चली गई, और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने दरबदर रहकर पूरी एक पीढ़ी गुजार दी।
 
7. इसी दौरान ब्रिटिश भारत में से सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा (अब म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है जबकि भारत का विभाजन तो सिर्फ हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच नहीं हुआ था।
 
8. म्यांमार 1937 ई. से पूर्व भारत का ही एक अंग था। 1937 ई. में ब्रिटिश भारत से म्यांमार को पृथक कर दिया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। 1945 ई. में मित्र राष्ट्रों की सहायता से म्यांमार का जापान से अधिग्रहण समाप्त किया गया। 4 जनवरी, 1948 ई. को म्यांमार स्वतंत्र हुआ और 1974 ई. में म्यांमार संघ का सोशलिस्ट गणराज्य बना। म्यांनमार एक बौद्ध राष्ट्र है।
 
9. विभाजन के दूसरे चरण में इस बाद का विशेष ध्यान रखा गया कि अखंड भारत राष्ट्र जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बंट जाए तब किस तरह वह शिया-सुन्नी, दलित-ब्राह्मण और हिंदी-पंजाबी-मराठी जैसे जुमलों में अपने आपको जलाता रहें। यह बताना जरूरी नहीं है कि किस तरह ब्रिटेन में बैठकर भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखाएं तय की गई और किस तरह सीमाओं पर विवाद के चिन्ह छोड़े गए।ALSO READ: Independence Day 2024: देश को आजाद बने रहने के लिए जरूरी हैं ये 4 काम
 
10. भारत विभाजन से ये ये मिला- पाकिस्तान और बांग्लादेश जो अब हमारे लिए सिरदर्द है, जिसके चलते कश्मीर, पंजाब, पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य और केरल में सांप्रदायिक सौहार्य बिगाड़कर अलगाव पैदा किया जाता रहा है। विभाजन के बाद हमने आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद, घुसपैठ को सहा है और अभी भी सह रहे हैं। 
 
11. दूसरी ओर चीन चाहता है कि भारत आंतरिक समस्याओं में उलझा रहे। इसी के चलते वह सिक्कम और अरुणाचल की जमीन पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने की नीति पर चल रहा है और इसके लिए जरूरी है कि भारत को आतंकवाद, नक्सलवाद और घुसपैठ के तमाम कारनामों में उझाए रखने के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों को छू करके रखें। आने वाले समय में श्रीलंका भी छू होने लगा तो कोई आश्चर्य नहीं।
 
12. भारत की राजनीति को बांटने के लिए अंग्रेज किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ गए थे। जिन्नाह और नेहरू को उन्होंने उलझाकर हिंदू और मुसलमान के बीच दीवार खड़ी कर दी, वहीं आम्बेडकर नहीं जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। दूसरी ओर मराठा रे‍जीमेंट, राजपूत रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट, सोचे क्या कारण थे कि सेना को प्रांतवाद के नाम पर गठित किया गया?
 
13. तीसरी ओर अंग्रेजों ने हमें कभी क्लर्क से ज्यादा सोचने के लिए शिक्षित नहीं किया। उन्होंने शिक्षा पद्धति इस तरह की निर्मित की जो सिर्फ क्लर्क ही पैदा करती थी। क्लर्क जिसे भारत में बाबू कहते हैं।
 
14. आज हमारी जो राजनीतिक दशा है उसका कारण अंग्रेजों के अलावा पूर्व के वे सभी राजनीतिज्ञ रहे हैं जो अपने-अपने स्वार्थ के लिए जिए और मर गए। दोनों तरफ के बुद्धिहीन राजनीतिज्ञों ने सब-कुछ नष्ट और भ्रष्ट कर दिया है।ALSO READ: भारत छोड़ो आंदोलन में रखी गई थी स्वतंत्रता की नींव, जानें 10 जबरदस्त बातें
 
15. हालांकि इस सबके बावजूद भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि भारत आगे बढ़ा है। यहां ऐसी कई विश्व प्रसिद्ध हस्तियां है, जिन्होंने दुनिया के हर क्षेत्र में भारत की ताकत को साबित किया है, चाहे वह व्यापार हो, टेक्नॉलाजी हो, पत्रकारिता हो, विज्ञान का कोई-सा भी आयाम हो, खेल हो या हो संचार का क्षेत्र। भारत की प्रगति में भारत के राजनीतिज्ञों की कोई दृढ़ इच्छा शक्ति नहीं भी रही हो फिर भी भारत ने हर क्षेत्र में अपने झंडे गाड़ दिए है। 
- अनिरुद्ध जोशी

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पेपर लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक सीमित