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राष्ट्रगान : जानिए, ऐतिहासिक तथ्य

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्व के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी रचना को एक से अधिक देशों में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। उनकी एक दूसरी कविता आमार सोनार बांग्ला को आज भी बांग्लादेश में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। और इससे अधिक मजेदार बात यह है कि बांग्लादेश के इस राष्ट्रगान को संगीत प्रदान करने वाला व्यक्ति एक नेपाली है।


ऐतिहासिक तथ्य

मदन लाल वर्मा 'क्रान्त' की पुस्तक स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास (भाग-एक) 'ISBN 8177831224 (Set) की पृष्ठ संख्या 150 पर भारत भाग्य विधाता शीर्षक से रवीन्द्रनाथ ठाकुर का पूरा गान इस तथ्यात्मक टिप्पणी के साथ दिया गया है-

भारत के मुक्ति संग्राम में सन्‌ 1911 का वर्ष राजनीतिक दृष्टि से सभी के लिए हर्ष का विषय था क्योंकि इसी वर्ष इंग्लैण्ड से जार्ज पंचम हिन्दुस्तान आए थे। बंग-भंग का निर्णय रद्द हुआ था जिसके कारण भारतीयों में अंग्रेजों के न्याय के प्रति विश्वास पैदा हुआ। साहित्यकार भी इससे अछूते नहीं रहे।

बद्रीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' ने जार्ज पंचम की स्तुति में सौभाग्य समागम, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ने शुभ स्वागत, श्रीधर पाठक ने श्री जार्ज वन्दना तथा नाथूराम शर्मा 'शंकर' ने महेन्द्र मंगलाष्टक जैसी हिन्दी में उत्कृष्ट भक्तिभाव की रचनाएं लिखकर राजभक्ति प्रदर्शित की थी।

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