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देशभक्ति कविता : आजादी दिवस

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रोचिका शर्मा , चेन्नई     
जन-गण-मन की धुन को सुन कर, हुए झंकृत मन वीणा के तार 
बधाई आजादी के दिवस की, भारत मां सजी सोलह श्रंगार 
 
देखूं जब-जब लहराता तिरंगा,गुमान देश पर होता है 
लिया जन्म जहां शूरवीरों ने ,सिर नतमस्तक हो जाता है 

 
क्या इंसान थे,किस मिट्टी के थे वो,क्या उन्हें जीवन से प्यार न था 
उनकी भी कुछ इच्छाएं होंगी, क्या उनका कोई परिवार न था 
 
समझा सब कुछ देश को अपने, जंग तभी तो जीत गए 
दो सौ वर्ष की गुलामी छूटी ,अंग्रेजों के दिन बीत गए  
 
उनके इस बलिदान को  क्या व्यर्थ यूंही जाने देंगे 
क्यूं न हम ये कसम उठाएं,आंच देश पर न आने देंगे
 
बच्चा-बच्चा बन जाए सैनिक,गर बुरी नजर दुश्मन डाले 
हस्ती उसकी मिलाएं खाक में, करे कभी जो हमला वे 
 
भाईचारा रखें परस्पर, अमन चैन का नारा हो 
सद्भावना, शांति रखें दिलों में, जाति, धर्म का न बंटवारा हो 
 
बनें पहिए प्रगति के रथ के,सबसे आगे बढ़ते जाएं
कर दें रौशन नाम जहां में, देश का अपने मान बढ़ाएं
 
आजादी की वर्षगांठ की ,छटा निराली बढ़ती जाए 
खुशहाली के फूल हों बिखरे,खुश्बू से चमन महकाएं 
 
     आओ आज़ादी दिवस मनाएं 
      आओ आज़ादी दिवस मनाएं 

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