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चुटकी भर ईमानदारी भी पर्याप्त

- विशाल

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हमें फॉलो करें स्वतंत्रता दिवस आजादी दिवस 15 अगस्त
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हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। लेकिन यह साँस हमें आगे भी मिलती रहे और हम इससे बेहतर हालात में देश को आने वाली पीढ़ियों के लिए भी छोड़कर जाएं तो इसके लिए हमें भी कीमत चुकानी होगी। परिस्थितियां बदल गई हैं। हमारे पूर्वज अंग्रेजों से स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के साथ मिलकर अंग्रेजों से लोहा लेते थे। तो वर्तमान में हमें देश के ही सत्ताधीशों के खिलाफ कई मोर्चों पर संघर्ष करना है।

क्या यह शासन व्यवस्था उचित हाथों में है। क्या संसद से चलने वाला कामकाज सुचारू ढंग से चल रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति व्यक्ति तक ठीक ढंग से पहुंचे। क्या ऐसा हो रहा है। जब तक ये सभी चीजें व्यवस्थित नहीं हो जाती तब तक हम कैसे कहें कि हम पूरी तरह आजाद हैं। आजादी को हमने शायद लक्ष्य मान लिया। आजादी एक पड़ाव था। मुझे लगता है इसे एक प्रक्रिया के रूप में सतत क्रियाशील रखना होगा। ताकि हम कभी उन हालात की तरफ न जाएं जहां से होकर हम आए हैं।

आज समय है सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों की ओर देखने की, उसे महसूस करने की। बजाय इसके हम एक-दूसरे पर अंगुली उठाए जा रहे हैं। यदि इस कार्य से हमारी परेशानियां दूर हो जाती तो जरूर यह स्वागत योग्य होता लेकिन ऐसा होता नहीं है।

बिहार भी पुन: तरक्की की ओर अग्रसर है। ऐसे कितने ही राज्यों में उन पार्टियों को शासन है जोकि केंद्र में विपक्ष की भूमिका निभा रही हैं। बजाय संसद में केंद्र पर अंगुली उठाने के इन राज्यों में व्यवस्था सुधारने को प्राथमिकता दी जाए।

एक ओर देश के बड़े-बड़े संस्थान आईआईटीज और प्रोफेशनल्स तैयार करते हैं वहीं बिहार के युवा आनंद द्वारा सुपर-30 से प्रतिवर्ष अनेक लोगों को स्वर्णिम भविष्य के अवसर मिलते हैं। इतने छोटे स्तर के प्रयास से जब इतने बड़े काम हो सकते हैं तो आज जरूरत है देश से ऐसे आनंद की।

अण्णा हजारे, केजरीवाल, गोपाल राय, मनीष सिसौदिया जैसे लोगों की जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निज स्वार्थ छोड़कर एक पत्थर आसमान की ओर उछालने की कोशिश तो कर ही रहे हैं। आजकल किसी नमक के विज्ञापन में आता है चुटकी भर ईमानदारी। वाकई देश के नौनिहालों को चुटकी-चुटकी भर ईमानदारी ही सिखाई जाए तो एक दिन यह मुट्‍ठीभर हो जाएगी और देश की ज्वलंत समस्याओं को छूमंतर होने में देर नहीं लगेगी और यह हर क्षे‍त्र में आगे होगा।

पहले हम वह बदलाव खुद में लाएं जो हम देखना चाहते हैं। - महात्मा गांधी

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