Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता: पुण्य पर्व पन्द्रह अगस्त

स्वतंत्रता दिवस की प्रथम वर्षगांठ पर रची पंक्तियां

Advertiesment
हमें फॉलो करें स्वतंत्रता दिवस
-शिवमंगल सिंह 'सुमन'

FILE


युग-युग की शांति अहिंसा की, लेकर प्रयोग गरिमा समस्त,
इतिहास नया लिखने आया, यह पुण्य पर्व पन्द्रह अगस्त।

पन्द्रह अगस्त त्योहार, राष्ट्र के चिरसंचित अरमानों का
पन्द्रह अगस्त त्योहार, अनगिनित मूक-मुग्ध बलिदानों का।

जो पैगम्बर पददलित देश का, शीश उठाने आया था
आजन्म फकीरी ले जिसने, घर-घर में अलख जगाया था।

भूमण्डल में जिसकी सानी का, मनुज नहीं जन्मा दूजा
मेरे कृतघ्न भारत तुमने, गोली से जिसकी की पूजा

लज्जित हो तो उसके सपनों संकल्पों को आबाद करो
यह दिन जो लाया, अपने उस नंगे फकीर को याद करो

हमने जो सपने देखे, यह उस आजादी का वेष नहीं
देखो इस उजली खादी में, कोई कालिख तो शेष नहीं।

जो चले गए अनरोए, अनगाए स्वतंत्रता पर बलि हो
आँसू से अपनी अंजुलि भर, आओ उनको श्रद्धांजलि दो।

रण है ,दरिद्रता, दैन्य, निपीड़न, बेकारी, बेहाली से
रण है, अकाल, भुखमरी, विवशता, तन मन की कंगाली से।

रण, जाति धर्म के नाम, विष वमन करने वाले नारों से
रण, शांति प्रेम के विद्वेषी, मानवता के हत्यारों से।

जब तक जन-गण-मन जीवन में, शोषण तन्त्रों का लेष रहे
जब तक भारत मां के आंचल में, एक दाग भी शेष रहे

हम विरत न हों संकल्पों से, पल भर भी पथ पर नहीं थमें
पन्द्रह अगस्त की शपथ यही तब तक आराम हराम हमें।

(स्वतंत्रता दिवस की प्रथम वर्षगांठ 15 अगस्त 1948 पर)

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi