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कटक के दर्शनीय स्थल

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ताराकाशी कला के लिए प्रसिद्ध कटक उड़ीसा राज्य में स्थित है। यह उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीनता एवं आधुनिकता का मिश्रण यहाँ पर देखा जा सकता है।

इतिहास
उड़ीसा की पुरानी राजधानी कटक आर्थिक व्यवस्था का केंद्र रही है। यह महानदी एवं कथजूरी नदी के पास स्थित है। इसलिए कटक सभी महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि व्यापार , अर्थनीति, हस्त शिल्पकला का केंद्र बन गया था। मान्यता है कि केशरी राजवंश ने सन् 989 में सैनिक शिविर की स्थापना की थी। 11वीं सदी में केशरी राजवंश ने ग्रेनाइट से बाँध निर्मित किया था। 14वीं सदी में बाराबाती किले की स्थापना की गई थी।

200 साल बाद, उड़ीसा के राजा मुकुंदा हरिचंदन ने बाँध के पास नौ मंजिला इमारत निर्मित की थी। 18वीं सदी में मराठाओं ने कटक शहर पर अपना राज्य स्थापित कर दिया था। समय के साथ-साथ उनका राज्य फैलता गया। अँग्रेजों के साथ व्यापार के दौरान मराठा शासकों ने राज्य में कई आकर्षक मंदिरों का निर्माण किया था। अँग्रेजों ने जब उड़ीसा पर अपना राज्य स्थापित किया तब कटक को उड़ीसा की राजधानी घोषित किया था। परंतु किसी कारण से अँग्रेज कटक से अपनी राजधानी भुवनेश्वर ले गए।

कटक अपनी सुंदर हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। पिपली गाँव में विभिन्न प्रकार के कलाकृति देखी जा सकती हैं। कला के ये रूप सरकार एंपोरियम (मंडी) में देखे जा सकते हैं।

ताराकाशी यहाँ की प्रसिद्ध हस्तशिल्प है। यह कला अद्भुत है, जो कि 15वीसदी में अपनाई जाती थी। आज भी यह कला विभिन्न वस्तुओं में जीवंत है।

क्या देखे

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चिल्का जलाशय

मतई नदी के पास स्थित यह जलाशय दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। साइबेरिया, ईरान, इराक, अफगानिस्तान से अनेक प्रवासी पक्षी यहाँ पर अक्टूबर के महीने में आते हैं। 150 जाति के ये पंछी यहाँ दिखाई देते हैं। 225 तरह की मछलियाँ एवं डॉल्फिन भी देखी जा सकती हैं।

धौली
कहा जाता है कि धौली में कलिंग युद्ध हुआ था एवं राजा अशोक ने यहाँ पर बौद्ध धर्म के बीज बोए थे। भारत के पुरात्तव कला को दर्शाती प्रतिमाएँ यहाँ नजर आती हैं।


बाराबाटी किला
14वीसदी में निर्मित यह किला अपनी अद्भुत सुंदरता एवं अनोखी हस्तकला के लिए प्रसिद्ध है। महानदी एवं काथाजोड़ी के पास स्थित इस किले में पौराणिक मंदिर के कुछ अंश मौजूद हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित की गई थी परंतु मुगल राजा फिरोज शाह तुगलग ने उस प्रतिमा को तोड़ डाला था।

मुख्य रूप से कटक में देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है।


कैसे पहुँचें

कटक के निकट भुवनेश्वर में हवाई अड्डा है। यह देश के अनेक प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग-5 कटक के पास से गुजरता है इसलिए कटक शहर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।

रेलमार्ग
चेन्नई से कोलकाता तक जाने वाला रेलमार्ग कटक से होकर निकलता है।


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