लंदन देखा, पेरिस देखा और देखा जापान
मानसी शर्माविश्व के कई देशों में वे घूम आए, अनेक संस्कृतियों को देख आए, न जाने कितने लोगों से मिल आए पर जो बात अपने देश में है वह और कहीं भी नहीं, ऐसा उन्हें शिद्दत के साथ महसूस हुआ। सभी का यह भी मानना था कि अकेले भारत में संस्कृति, भोजन, भाषा, पहनावे की जितनी विभिन्नाताएँ हैं उतनीऔर कही नहीं बावजूद इसके भारत पर्यटन के क्षेत्र में अन्य देशों से मात खाता है। क्या है अन्य देशों की खासियत और भारत में ऐसा क्या है जो और कहीं नहीं, आईये बताते हैं हम।चीन के खाते-पीते लोग निखिल कोठारी, निदेशक, हॉरीजन प्रोजेक्ट्स इंदौर घूम आए- स्विट्जरलैंड, जापान, यूके, बैंकॉक, फिलीपिंस, चीन और इटलीखासियत- स्विट्जरलैंड में प्राकृतिक सुंदरता को बिगाड़े बगैर विकास, चीन के खाते पीते लोग और यूके का ग्लैमर।अगली तैयारी- ऑस्ट्रेलिया जाने की। सिर्फ भारत में है- बेहतरीन भोजन, सुरक्षा की भावना और अपने लोग अनोखा अनुभव- हम लंदन से स्विट्जरलैंड जा रहे थे। सामान काफी सारा था और हम नौ घंटे के सफर के बाद काफी थक गए थे। होटल पहुँचकर हमनें रिसेप्शन पर आग्रह किया कि हमारा सामान रुम तक पहुँचवा दीजिए। यह कहते ही रिसेप्शन संभाल रही लड़की ने हमारा सामान उठाया और सही जगह पहुँचा दिया। यह देखकर हमें बड़ा बुरा लगा और यह तय कर लिया कि अपना काम खुद ही करना चाहिए। वहीं इटली के लोग नए व्यक्ति को गलत जानकारी देकर भटकाते हैं।
स्विट्जरलैंड का एयरपोर्ट वंदना कैथवास, असिस्टेंट, नेशनल इंश्योरेंसघूम आए- ऑस्ट्रिया, इटली, स्पेन, जर्मनी, वेटिकन सिटी, स्विट्जरलैंड और कोसावा (अफ्रीका)खासियत- स्विट्जरलैंड का एयरपोर्ट बेहद खूबसूरत है, इटली में पीसा की मीनार, वेटिकन सिटी में पोप का महल और स्पेन के चर्च अगली तैयारी- लंदन जाकर जानना कि यह जगह पूरी दुनिया में इतनी लोकप्रिय क्यों है।जो सिर्फ भारत में है- मालवा जैसा सुस्वादु भोजन इतने देशों में कहीं भी नहीं मिला। भारत में जगह-जगह प्यासे को पानी मिल जाता है कोसोवा में पानी के एक बॉटल के सौ रुपये देने पड़ते हैं।अनोखा अनुभव- पेरिस में स्थित डिज्नीलैंड घूमने गए थे। वहाँ के बहुत बड़े झूले रोलर कोस्टर में पूरा परिवार बैठ गया था। जैसे ही झूला चलना शुरु हुआ सभी डर गए। अच्छा तब लगा जब एक स्थानीय मैग्जिन में झूले में डरे डरे बैठा हुआ हमारा फोटो छपा।मलेशिया की मेहमान नवाजी मुकेश और सोनू पाटीदार, संचालक, गगन लेदर हाउसघूम आए- सिंगापुर, मलेशिया, बैंकॉक, दुबईखासियत- मलेशिया की मेहमान नवाजी, साफ सफाई, और सुविधाएँ, सिंगापुर के शॉपिंग मॉल्स, बैंकॉक के प्रोडक्ट्स की अनोखी रेंज और दुबई में बिजनेस एक्सपांशन का मौका। अगली तैयारी- यह जानने के लिए लंदन जाना है कि बॉलीवुड के सारे लोग वहां ही क्यों जाना पसंद करते हैं।जो सिर्फ भारत में है- अपने देश में तो भीड़ में भी अपनापन लगता है। विदेशों में सभी अपने आप में व्यस्त रहते हैं किसी को किसी से कोई मतलब नहीं। अनुभव- मुंबई से मलेशिया जाना था वाया बैंकॉक। फ्लाइट देर रात को थी। एयरलाइंस के अधिकारियों ने पूछा कि क्या हम आपको सीधे मलेशिया भेज दें दूसरी एयरलाइंस से जो कि आधे घंटे बाद ही थी। हमें डर था कि भले ही जल्दी पहुँच जाएंगे पर जो लेने आने वाले हैं वो तो नियत समय पर ही आऐंगे। हमारा डर बेकार निकला जब फ्लाइट में लैंडिंग से पहले ही घोषणा हुई कि 'श्री एवं श्रीमती पाटीदार को रिसीव करने आए लोग उनका इंतजार कर रहे हैं।'
इटली और ऑस्ट्रिया की नेचरल ब्यूटी भा गई
बीके चौधरी और श्रीमती अपंद्रा चौधरी, सीनियर मैनेजर, यूको बैंक
घूम आए- लिंकन स्टाइन, वेटिकन सिटी, इटली, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस, हॉलैंड, यूके और बेल्जियम।
खासियत- सभी देशों में साफ, सफाई और लोगों में अनुशासन बहुत है। इटली में पानी पर बसा शहर वेनिस, फ्रांस में पेरिस की खूबसूरती, ऑस्ट्रिया की नेचुरल ब्यूटी और क्रिस्टल का काम बेहतरीन है।
अगली तैयारी- न्यूजीलैंड, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया जाने की।
जो सिर्फ भारत में है- भारतीय लोगों जैसी सादगी इतने देशों में कही भी देखने को नहीं मिली। दुनियाभर में सबसे ज्यादा सुंदर भारत है पर यहाँ प्रेजेंटेशन की कमी है पर अपनापन बहुत है।
अनुभव- जिस ग्रुप में हम घूमने गए थे उसमें भारत के विभिन्न प्रांतों से लोग आए हुए थे। इतनी अलग अलग संस्कृतियों के भारतीय लोगों से मिलने का अवसर पहली बार मिला था।
आइसलैंड में पर्यटन क्यों बढ़ रहा है?
सतीश चेट्टी, पयर्टन विशेषज्ञ
घूम आए- जर्मनी, श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया।
खासियत- मलेशिया के लोगों का आतिथ्य, सिंगापुर का स्वयं को प्रेजेंट करने का तरीका, श्रीलंका की प्राकृतिक सुंदरता और जर्मनी का अनुशासन।
अगली तैयारी- आइसलैंड जाकर यह देखना है कि मौसम प्रतिकूल होने पर भी वहाँ पर्यटन क्यों बढ़ रहा है।
जो सिर्फ भारत में है- भोजन और 'सब चलता है' की सोच
अनुभव- मलेशिया में हम ट्वीन टॉवर्स देखने गए थे। विजिटर्स की लाइन में लगे तब पता चला कि यह लाइन तो शाम के विजिटर्स की है जबकि शाम को तो हमारी वापसी की फ्लाइट थी। हम ट्वीन टॉवर को अंदर से न देख पाने के कारण दुःखी हो रहे थे तभी वहाँ मौजूद वॉचमैन ने हमारी परेशानी समझकर अधिकारियों से बातकर तत्काल देखने की अनुमति ला दी।