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सर्दियों का स्वागत करता उत्तराखंड

सर्दियों में लें बर्फबारी का मजा

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हमें फॉलो करें दिल्ली
- मनोज रावत

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सर्दी के मौसम में आमतौर पर लोग जबर्दस्त ठंड से बचने के उपाय करते रहते हैं लेकिन इससे उलट इस मौसम का मजा भी उठाया जा सकता है। हमारे देश में ऐसे कई इलाके हैं जहाँ सर्दियों में सैलानी बर्फ का मजा उठाने के लिए जाना पसंद करते हैं।

बर्फ का मजा उठाने के लिए पहला नाम जो हमारे जेहन में आता है वह जम्मू-कश्मीर का है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सुदूर उत्तर-पूर्व का तवांग भी सर्दियों में बर्फ का मजा लेने का अच्छा ठिकाना है। बर्फ में मौज-मस्ती का मजा ही अलग है। इससे ऊर्जा भी भरपूर मिलती है और रिश्तों में गर्माहट भी आती है।

जाड़ों में मध्य हिमालय (1200 मीटर-4000 मीटर) स्थित उत्तराखंड के कई हिल स्टेशन बेहद खूबसूरत हो जाते हैं। बर्फबारी में नहाया पहाड़ तो पर्यटकों को अपनी ओर चुंबक की तरह खींचता है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से लेकर फरवरी के मध्य तक उत्तराखंड के कई पर्यटक स्थलों पर बर्फ गिरती है।

अंग्रेजों के बसाए शहर नैनीताल और मसूरी तो दिल्ली के नजदीक होने तथा रेल स्टेशनों के बिलकुल पास होने के कारण पर्यटकों की पहली पसंद हैं। इन दोनों ही शहरों तक दिल्ली से सड़क से 7 से 10 घंटे में पहुँचा जा सकता है। मसूरी तथा नैनीताल में बर्फबारी की खबर लगते ही दिल्ली, गुड़गाँव, गाजियाबाद तथा उत्तर भारत के शहरों के पर्यटक इन पर्वतीय पर्यटक स्थलों की ओर भाग पड़ते हैं।

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नैनीताल में बर्फ के साथ खेलने के लिए पर्यटकों की पसंदीदा जगह तो ऐतिहासिक माल रोड ही है पर यदि माल रोड में पड़ी बर्फ पर्यटकों को कम लगे तो वे नैनीताल शहर के ऊपर स्नो व्यू, टिफिन टॉप से लेकर किलवरी मार्ग पर दूर हिमालय दर्शन तक जा सकते हैं। हिमालय दर्शन से हिमालय की चोटियों का विहंगम दृश्य दिखता है। क्रिसमस के आस-पास यदि बर्फबारी हो जाए तो पर्यटक नैनीताल में त्योहार और छुट्टियों का दोगुना आनंद लेते हैं।

राजधानी देहरादून के पास मसूरी में भी साल में 3-4 बार बर्फबारी हो जाती है। बर्फबारी के होते ही पर्यटकों का हुजूम मसूरी आ जाता है। इस भीड़ से मसूरी के नीचे किंगररेग तक के रास्ते जाम हो जाते हैं। मसूरी तथा नैनीताल और उसके आस-पास सभी बजट श्रेणी में पर्याप्त होटल उपलब्ध हैं। बर्फबारी का मजा लेने के लिए पर्यटक मसूरी के लाल टिब्बा, किनोग हिल, जॉर्ज एवरेस्ट, गन हिल तथा क्लाउड ऐंड स्थानों पर जाते हैं।

मसूरी से 32 किमी दूर स्थित नव पर्यटक स्थल धनौल्टी तक बर्फबारी के बीच सड़क के दोनों ओर बर्फ जम जाती है। इस मार्ग पर तब गाड़ी चलाने का आनंद दोगुना हो जाता है। चमोली जिले के जोशीमठ से 15 किमी दूर औली तो अब विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग केंद्र तथा शीतकालीन रिजॉर्ट का रूप ले चुका है।

यहाँ 2010 के जनवरी-फरवरी में शीतकालीन सैफ खेलों का आयोजन होना है। औली में स्कीइंग के 7 दिवसीय, 14 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए तथा पर्यटकों के लिए एक-दो दिवसीय स्कीइंग करने की सुविधा गढ़वाल मंडल विकास निगम उपलब्ध कराता है।

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विद्यार्थियों के लिए तो रहने, खाने की सुविधा, उपकरणों, स्की लिफ्ट की उपलब्धता मय शिक्षक 5,500 रुपए में उपलब्ध है। पर्यटकों को बेशक एक या दो दिन स्की करने के लिए तथा हर सुविधा के लिए अलग भुगतान करना पड़ता है। रोप वे द्वारा औली पहुँच कर पर्यटक नई दुविधा में होता है।

सामने नंदा देवी सहित कई हिमाच्छादित चौटियों का दृश्य दिखता है। औली में 1,300 मीटर लंबा स्कीइंग ट्रैक उपलब्ध है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए 800 मीटर लंबी चियर लिफ्ट के अलावा स्कीयरों को ऊपर पहुँचाने के लिए दो स्की लिफ्ट उपलब्ध है।

कुल मिलाकर औली में कम दामों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्की रिजॉर्ट का मजा लिया जा सकता है इसलिए विदेशी पर्यटक भी अपने देशों में महँगे स्की रिजॉर्टों में जाने के बजाय औली आकर स्कीइंग करके पैसा बचाते हैं। उत्तराखंड के पर्यटन सचिव उत्पल कुमार सिंह बताते है कि शीतकालीन सैफ खेलों के आयोजन की तैयारियों के पूरा होने के साथ औली शीतकालीन खेलों के अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित हो जाएगा।

औली के अलावा उत्तराखंड में उत्तराकाशी जिले का दयारा बुग्याल, देहरादून में चकराता के पास मुंडाली, रूद्रप्रयाग जिले का चोफता तथा पिथौरगढ़ मुंस्यारी के पास खलिया टॉप स्कीइंग के शौकीनों के लिए पसंदीदा पर्यटक स्थल है। अंग्रेजों के समय के स्थापित पर्यटक स्थलों के अलावा उत्तराखंड में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए अनगिनत स्थल है। इनमें से कई स्थल तो अभी पर्यटक मानचित्र पर आ भी नहीं पाए है।

पौड़ी जिले का लैंसडाउन शहर दिल्ली से 8 घंटे की दूरी पर सड़क मार्ग पर स्थित है। यहाँ गढ़वाल राइफल का रेजीमेंटल सेंटर है तथा साल में 4-5 बार बर्फ पड़ती है। कम मानवीय हस्तक्षेप के कारण लैंसडाउन शहर में सड़कों तथा मकानों के पास बांज (ओक), बुरांस आदि प्रजातियों के पुराने पेड़ों के झुरमुट मिलते हैं जिनके बीच से बर्फबारी में गुजरने पर मजा कई गुना बढ़ जाता है।

लैंसडाउन के आगे गढ़वाल का कमिश्नरी मुख्यालय पौड़ी तथा उससे आगे खिर्सू भी साल में दो-तीन बार तो बर्फ से नहा ही जाता है। रुद्रप्रयाग जिले का चोफता (10 हजार फुट) तथा देवरिया ताल और गुप्तकाशी के पास जाखधार से लेकर त्रिजुगी नारायण तक जाड़ों में खूब बर्फबारी होती है।

ये स्थल भी सड़क मार्ग पर स्थित हैं। इनके पास कई मंदिर तथा धार्मिक स्थल हैं इसलिए इस पर्यटक सर्किट में जाकर यात्री को बर्फबारी के आनंद के साथ तीर्थाटन का लाभ भी मिलता है। बांज, बुरांस तथा थुनेर के जंगलों के बीच स्थित चोफता बुग्याल की प्राकृतिक खूबसूरती के कारण इसे उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड भी कहते हैं।

अनुकूल मौसम होने पर यहाँ जाड़ों में 6 फुट तक बर्फ टिकती है इसलिए यहाँ के होटल जाड़ों में कम खुलते हैं। पर्यटकों को 5 किमी नीचे दुगल बिट्टा से बर्फ तथा घने जंगलों के बीच चलकर स्कीइंग तथा बर्फबारी का आनंद लेने पहुँचना पड़ता है। उत्तरकाशी जिले के हर्षिल तथा गंगोत्री की शीतकालीन पूजा स्थली मुखवा में भी जाड़ों में अच्छी-खासी बर्फ पड़ती है।

उत्तरकाशी के चौरंगी खाल तथा नचिकेता ताल में तो टिहरी के महाराजा एक सदी पहले भी स्कीइंग का आनंद लेने जाते थे। देहरादून जिले के चकराता, कनासर, कथियार, त्यूणी आदि स्थानों के साथ-साथ हर की दून की पूरी घाटी में जबर्दस्त बर्फबारी होती है। अब ये जगहें भी धीरे-धीरे पर्यटकों की पसंद में शुमार होती जा रही हैं।

कुमाऊँ में भी नैनीताल के अलावा 8 हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित मुक्तेश्वर व रामगढ़ में भी अच्छी-खासी बर्फ पड़ती है। यहाँ से हिमालय के सुंदर दृश्य दिखते हैं। कौसानी (6,500 फुट) से हिमालय की श्रृंखला विस्तार से दिखती है तो चौकड़ी से बर्फबारी के बाद त्रिशूल तथा नंदा देवी से लेकर नेपाल स्थित अपि तथा नंपा चोटियाँ बिल्कुल नजदीक से दिखती हैं।

रानीखेत में भी अनुकूल मौसम में साल में एक दो बार बर्फ पड़ जाती है। ये सभी स्थल पर्यटकों के लिए पसंदीदा हैं। उत्तराखंड में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए सैकड़ों स्थल उपलब्ध हैं। बर्फ पड़ने के बाद वातावरण साफ हो जाता है इसलिए हिमालय के दृश्य और भी खूबसूरत हो जाते हैं पर बदलते मौसम चक्र परिवर्तन के चलते यह कहना अब मुश्किल है कि साल में बर्फ कब और कितनी बार पड़ेगी।

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