Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ऑरोविल : भारत का एक ऐसा शहर जिसमें मिल-जुलकर रहते हैं 60 देशों के लोग

हमें फॉलो करें ऑरोविल : भारत का एक ऐसा शहर जिसमें मिल-जुलकर रहते हैं 60 देशों के लोग
प्रथमेश व्यास 
भारत में सांप्रदायिक हिंसा का दौर चल रहा है। देश के अलग-अलग राज्यों से दिल दहला देने वाली खबरें सामने आ रही है। धर्म और राजनीति के नाम पर मानवता तार-तार हो रही है। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत का एक शहर ऐसा है, जहां के नागरिक मानवता और समाज की वर्तमान परिभाषाओं से कहीं ऊपर जीवन-यापन कर रहे हैं। विश्व का ऐसा एकमात्र शहर जहां ना किसी की सरकार है, ना कोई कानून है और यहां आज तक एक भी अपराध नहीं हुआ। कुछ लोग शहर इसे 'धरती का स्वर्ग' कहते हैं तो कुछ इसे भारत का सबसे अच्छा पर्यटन केंद्र मानते हैं। तो आइए जानते हैं 'ऑरोविल' के बारे में ... 
 
बात है 1960 के दशक की, जब भारत के महान स्वतंत्रता सैनानी और दार्शनिक ऑरबिंदो घोष और फ्रेंच महिला मैरिसा अल्फ़ाज़ा ने एक ऐसे समाज की नींव रखी जहां धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव न हो, जहां कोई कानूनी बाध्यता न हो और जहां पूरे विश्व के लोग शांति, सद्भाव और पारस्परिक सहयोग से रह सके। इसी सोच के परिणामस्वरूप 'ऑरोविल' शहर का निर्माण हुआ, जहां 60 देशों के लगभग 3 हज़ार लोग रहते हैं। ऑरोविल दक्षिण भारत में स्थित है, पॉन्डीचेरी से इसकी दूरी महज़ 10 किलोमीटर है। 
 
 ऑरोविल में सभी के साथ सामान व्यवहार किया जाता है और यहां सभी अपना मनचाहा कार्य कर सकते हैं। स्वीपर से लेकर डॉक्टर , इंजीनियर तक सभी को एक जैसी तनख्वाह (12 हज़ार रुपए प्रतिमाह) दी जाती है। यहां के लोग समाज के लिए काम करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन वही काम करते हैं, जिसमें उनकी रूचि हो। ऑरोविल में कुल 10 स्कूल है, जिनमें हर उम्र के लोग पढ़ाई कर सकते हैं ।यहां के स्कूलों की खासियत है कि यहां कोई निर्धारित पाठ्यक्रम नहीं होता, विद्यार्थी अपनी रचनात्मकता के अनुसार कुछ भी सीख सकते है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है - 'मातरी मंदिर', जिसे 37 वर्षों में बनाया गया था। जो बात इस मंदिर को अन्य धार्मिक स्थलों से भिन्न बनाती है, वो ये है की इस मंदिर में ना कोई प्रतिमा है, ना ही यहां कोई प्रार्थना की जाती है।  यहां ध्यान के माध्यम से केवल एक चीज़ को पूजा जाता है और वो है 'मन की शांति'। वैसे तो ऑरोविल भारत का ही एक हिस्सा है, लेकिन यहां का बजट यहां रहने वाले लोगों द्वारा ही बनाया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है। 
 
ऑरोविल की बात की जाए और ऑरोविल के खाने की बात ना हो, ये हो ही नहीं सकता। यहां के सभी नागरिकों के लिए 'सोलर किचन ' में खाना बनाया जाता है, जो पूर्णतः शाकाहारी और सात्विक होता है। इसके अलावा शहर में आपको ढेरों कैफ़े और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे, जहां आप अपनी पसंद के हिसाब से दुनिया भर की डिशेज़ का लुत्फ़ उठा सकते हैं। यहां के किचन की एक और ख़ास बात ये है कि इसमें आस-पास के गांव के लोगों को भी रोज़गार दिया जाता है। यहां एक 'यूथ सेंटर' है, जिसमें युवा अपने नए-नए आइडियाज पर काम करते हैं और ऑरोविल समाज के लिए उपयोगी वस्तुएं बनाते हैं। ऑरोविल से ढेरों स्टार्ट-अप्स की शुरुआत हुई है,जो आज लाखों कमा रहे हैं। इसके अलावा इस शहर में एक साउंड गार्डन भी है, जिसमें मन को सुकून पंहुचाने वाले कई परंपरागत वाद्य यंत्र मौजूद है , जो ध्यान लगाने में यहां के लोगों की मदद करते हैं।
 
जहां एक ओर दुनिया में शोर-शराबे से भरी दुनिया पैसा और प्रसिद्धि की दौड़ जारी है, वहां ऑरोविल सम्पूर्ण मानव जाति को यह सिखा रहा है कि हमें एक दूसरे के प्रति प्रतिस्पर्धा का भाव रख कर खुद को नष्ट करने कि बजाय आपसी  सहयोग से स्वयं को विकसित करना चाहिए। ऑरोविल को दुनिया की पहली 'एक्सपेरिमेंटल सोसाइटी' कहा जाता है। यहां आने वाले पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को मातरी मंदिर को देखकर इसे मात्र एक पर्यटन स्थल मानते हैं, लेकिन इससे बढ़कर ये एक अनुसंधान केंद्र भी है, जहां मानव विकास के कई आयामों पर निरंतर शोध कार्य किया जा रहा है। अगर आप भी मन की शांति, साधारण जीवनशैली और सकारात्मकता चाहते हैं, तो आपको एक बार ऑरोविल ज़रूर जाना चाहिए।  

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सलमान खान के डुप्लीकेट को पुलिस ने किया गिरफ्तार, शांति भंग करने का लगा आरोप