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प्रकृति के हाथों सजा मलेशिया

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-अनुराग तागड़
सुंदर, अद्‍भुत, खूबसूरत- इन शब्दों को मलेशिया के लिए इस्तेमाल करना शायद यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को कमतर आँकने जैसा होगा। इस देश को प्रकृति ने अपने हाथों से सजाया है। यहाँ आप आधुनिकता और नैसर्गिक खूबसूरती का संगम देख सकते है।

मलेशियाई अपने प्राकृतिक सौंदर्य के खजाने पर इठलाते हैं साथ ही इसे सहेजने की जिम्मेदारी भी वे बखूबी निभाते हैं। इस छोटे से देश में बेहतरीन समुद्र तट हैं तो बादलों के आगोश में आराम फरमा रहीं पहाडि़याँ भी हैं।

मलेशिया को विश्व के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में शुमार करने के लिए मलेशियाई सरकार और यहाँ के लोगों ने काफी मेहनत की है। जिसके सुंदर परिणाम सारी दुनिया के सामने हैं। इस साल (सन 2007) मलेशिया सरकार विजिट मलेशिया वर्ष मना रही है।

मलेशिया के लिए हमारे सफर की शुरुआत मुंबई एअरपोर्ट से हुई जहाँ मलेशियन एयरलाइंस के विमान से 5 घंटे की उड़ान भरकर कुआलालम्पुर हवाई अड्डे पहुँचे। हम जैसे ही हवाई अड्डे से बाहर निकले हमें चहुँ ओर हरियाली ही हरियाली नजर आई। यह हरियाली पॉम के वृक्षों की थी। दरअसल मलेशिया में पॉम ऑइल का उत्पादन काफी ज्यादा मात्रा में होता है और देश में कई लाखों हैक्टेयर में पॉम ऑइल के पेड़ नजर आते हैं।

आकर्षण स्थलः-
कुआलालम्‍पुर
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कुआलालम्पुर शहर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। सब कुछ इतना सुनियोजित है कि आगंतुक को कोई दिक्कत नहीं होती। शहर को जानने के लिए सबसे पहले हम पहुँचे इस्ताना निगारा। यह मलेशिया के राजा के रहने का स्थान है।

इसके बाद हम पहुँच गए मलेशिया की पहचान पेट्रोनस ट्वीन टॉवर के पास। ये दोनों टॉवर पहली ही नजर में भा जाते हैं और कुआलालम्पुर शहर में कहीं से भी थोड़ी सी ऊँचाई से नजर आ जाते हैं।
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451.9 मीटर ऊँचे इन टॉवर्स में 86 मंजिलें हैं, परंतु पर्यटकों को 41वीं मंजिल पर स्थित पुल तक जाने दिया जाता है। इस हेतु कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता और एक दिन में निश्चित संख्या में ही पर्यटक जा सकते हैं। पेट्रोनस टॉवर्स के पास ही कुआलालम्पुर सिटी सेन्टर पार्क बनाया गया है जिसमें 1900 से ज्यादा पॉम के पेड़ लगाए गए हैं।

इसके अलावा केएल टॉवर, केएलसीसी एक्वेरियम देखने लायक हैं। पाँच हजार स्के.फुट में फैले इस एक्वेरियम में 150 तरह की मछलियाँ हैं। इसमें एक 90 मीटर की टनल भी है जिसमें ऐसा एहसास होता है कि आप समुद्र के भीतर से ही इन्हें देख रहे हैं। इसके अलावा नेशनल प्लेनेटोरियम, आर्किड पार्क, बटरफ्लाई पार्क आदि भी काफी खूबसूरत हैं।

कुआलालम्पुर में शॉपिंग करने के लिए काफी सारे मॉल्स हैं। 3450000 स्के. फुट में फैले बरजाया टाइम स्क्वेअर मॉल मलेशिया का सबसे बड़ा मॉल है। इसमें विश्व के सर्वश्रेष्ठ ब्रांड्स उपलब्ध हैं।

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यहाँ के कुछ छोटे मॉल्स में मोल-भाव भी किया जा सकता है। सन वे सिटी होटल में स्थित वॉटर पार्क काफी बड़ा है। इसके पास ही लगा हुआ मॉल छः मंजिला है तथा इसमें आईस स्केटिंग करने की व्यवस्था भी है। आईस स्केटिंग करने की इच्छा बहुत हुई तथा टिकट लेने भी पहुँच गए परंतु जब लोगों को आईस स्केटिंग करते हुए देखा तब पता चला कि 80 प्रतिशत लोग गिर रहे हैं, तब कदम पीछे हटा लिए।

शाम होते ही आई ऑन मलेशिया नामक बहुत बड़े झूले में बैठने का समय हो गया था। काफी ऊँचाई वाले इस झूले को देखने के बाद मेले में प्रयुक्त किए जाने वाले सबसे बड़े झूले की याद आ गई। बस फर्क इतना था कि इसमें बैठने के लिए जो स्थान थे वे एसी थे।
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पुत्रजया
मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर है परंतु बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कुआलालम्पुर से आधे घंटे की दूरी पर प्रशासनिक राजधानी पुत्रजया को बनाया गया है। यह इतनी भव्य है कि इसे देखकर सहसा विश्वास नहीं होता कि कोई भी सरकारी काम इतने कम समय में कैसे पूर्ण हो सकता है। यहाँ झील भी बनाई गई है और आधुनिक सुविधाओं से लैसे बहुत बड़े कन्वेशन सेंटर भी हैं।

सरकारी कर्मचारियों के रहने के लिए झील के किनारे मकान बनाए गए हैं तो प्रधानमंत्री कार्यालय भी काफी खूबसूरत है। धीरे धीरे यहाँ विभिन्न देशों के दूतावास भी बनाए जा रहे हैं। सम्पूर्ण पुत्रजया घूमने के लिए क्रुज यात्रा काफी अच्छी सुविधाजनक है। 45 मिनट में एसी क्रुज के भीतर बैठकर पुत्रजया का नजारा देखा तब सहसा एक सुंदर से पुल पर भी नजर गई
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इस पुल की जरूरत केवल झील पार करने के लिए ही थी परंतु इसे भी पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए खूबसूरत बनाया गया है कि केवल पुल के फोटो लेने का मन करता है। यहाँ मलेशिया की केन्द्रीय सरकार के कई कार्यालय हैं। यहाँ खासतौर पर लाखों की संख्या में पेड़ लगाए गए हैं। यहाँ स्थित पुत्रजया मैरियट होटल की लॉबी इतनी लंबी है कि इसमें वाटर फॉल आदि भी बनाए गए हैं

लंकावी
कैमरुन हाईलैंड्स से 5 घंटे का सफर तय कर कुवाला कैद्दाह पहुँचे। यहाँ से लंकावी आईलैंड लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर है। यह सफर फैरी से तय करना पड़ता है। दोपहर लगभग साढ़े चार की फैरी के टिकट मिल पाए। फैरी सम्पूर्ण सुविधायुक्त होती है तथा इसमें बाकायदा फिल्म दिखाने की व्यवस्था होती है। फैरी निर्धारित समय से कुछ देर के बाद लंकावी के लिए रवाना हुई।

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खिड़की से बाहर झाँकने पर समुद्र के पानी के रंग का बदलना आसानी से नजर आ रहा था। इतने में तेज हवा व बारिश भी आरंभ हो गई और दूसरी फैरी के कुछ दूर से गुजरने के कारण हमारी फैरी ने हल्का सा झटका खाया। रोजाना फैरी से यात्रा करने वालों के लिए यह सबकुछ सामान्य था परंतु कई वर्षों बाद फैरी में बैठने वालों के लिए यह अनुभव थोड़ा डराने वाला था। कूंग फू की फिल्म के स्टंट देखने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं था।

यहाँ आने पर हमें एहसास हुआ कि हमें जो भी थोड़ी बहुत शॉपिंग करनी थी वह लंकावी में ही करनी थी क्योंकि यह ड्यूटी फ्री आईलैंड है। हमारे ग्राउंड हैंडलर (गाइड) ने जब हमें बताया कि अगर आपको ‍मर्सिडीज खरीदना है तब यहीं से खरीदिए, सस्ती पड़ेगी लगभग 15 लाख रुपयों के आसपास।

यह आँकड़ा सुनकर आश्चर्य में पड़ जाना स्वाभाविक था परंतु गाइड महोदय ने काफी देर बाद बताया कि गाड़ी खरीदने के बाद आपको चलाना केवल लंकावी में ही है और सम्पूर्ण लंकावी के रास्ते दो घंटे की ड्रायविंग में तय किए जा सकते हैं। लंकावी से कार वर्षभर में केवल निर्धारित 30 दिनों तक के लिए ही मलेशिया के अन्य शहरों में ले जा सकते हैं। टुरिज्म मलेशिया द्वारा हमारे रुकने की व्यवस्था बरजाया लंकावी बीच एंड स्पॉ रिसोर्ट में की गई थी।

वेलकम ड्रिंक (मिक्स फ्रूट ज्यूस) लेने के बाद हमें यह बताया गया कि रूम्स समुद्र के किनारे बने हैं तथा सम्पूर्ण होटल में कई सौ कमरे हैं। होटल के रिसेप्शन से कमरे तक जाने के लिए शटल (बड़े आकार की रिक्शा) का प्रयोग करना पड़ता है और अगर रूम में आपने कोई सामान मँगवाया तो होटल के कर्मचारियों को मोटरसाइकल से आपके रूम में आना पड़ता है। होटल के सभी कमरे समुद्र तट के आसपास ही बने थे और कमरों के पास जंगल जैसा माहौल था
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हमें पहले ही चेतावनी दे दी गई थी कि कमरे के आसपास बंदर भी हो सकते हैं। कमरे में पहुँचने के बाद इस बात का एहसास हुआ कि कमरे आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस थे। कमरे से बाहर का दृश्य आह्लादित करने वाला था। समुद्र तट के खूबसूरत नजारे आप देखते ही रहते हैं। रात्रि के समय खाना खाने पहुँचे तब पता चला कि होटल के कई रेस्टोरेंट्स में से एक बीच व्यूय रेस्टोरेंट में खाना खाने की व्यवस्था की गई हैं।

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इसके बाद हम नाव से पहुँचे लेक ऑफ द प्रेगनेंट मैडन पर। यह मीठे पानी की झील दो द्वीपों के बीच बनी है। इसका पानी भी एकदम साफ और स्वच्छ है। यहाँ पर बोटिंग करने की व्यवस्था भी है। यहाँ लगभग डेढ़ घंटा व्यतीत करने के बाद हम पहुँचे समुद्री चीलों के बीच।

यहाँ समुद्री व पहाड़ी दोनों तरह की चीलों को आप खाना खिला सकते हैं। तत्पश्चात हम जमीन पर पहुँचे, खाना खाया और अंडरवाटर वर्ल्ड में पैंगुइन देखने पहुँचे। यहाँ थ्री डी फिल्म भी बताई जाती है।

शाम के समय बटिक प्रिंट के संबंध में जानकारी लेने के बाद होटल पहुँचे। सफर के आखिरी दिन पुनः समुद्र के बीच थे जहाँ दिन की शुरुआत बंदरों को ब्रेड खिलाने से आरंभ हुई। समुद्र के बीच बने फिश फार्म में मछलियों की विभिन्न प्रजातियाँ देखने के बाद मगरमच्छों के रहने के स्थान को दूर से ही देखा। तट पर आने के बाद हमें दो घंटे के लिए शॉपिंग के लिए दिए गए थे और वह भी मॉल में।

खरीददारी के पश्चात हम पहुँचे केबल कार में बैठने के लिए। केबल कार के माध्यम से लगभग 100 मीटर की ऊँचाई पर पहुँचा जाता है। यहाँ पहुँच कर जो दृश्य नजर आता है वह अविस्मरणीय है। ऐसा लगता है कि हाथ लगाकर आसमाँ को छू लें। केबल कार से उतरने के बाद भी थोड़ी और ऊँचाई पर जाने के लिए सीढि़याँ बनाई गई हैं।
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सीढि़याँ चढ़ते समय दम फूलने लगता है, परंतु ऊपर पहुँचने के बाद थकान और पसीने की बूँदों की ओर ध्यान नहीं जाता... सूरज व समुद्र मिलकर ऐसा चमत्कार पैदा करते हैं कि मानव मन बस सुधबुध खोकर इन्हें देखने लग जाता है।

इतनी ऊँचाई पर आने के बाद लोगों के इस दृश्य को देखने के अपने पैमाने होते हैं किसी को आध्यात्मिक अनुभूति होती है तो कोई दृश्य को देखकर आँसू बहाते हुए भी देखा जा सकता है। मलेशिया यात्रा का यह अंतिम पड़ाव था जो आँखों के सामने अब भी घूम रहा है।

केबल कार से पुनः वापस नीचे आने के बाद एहसास हुआ कि मलेशिया यात्रा संपन्न हो चुकी है। यह विचार मन में आते ही अपने देश की याद आना लाजमी था और मन में लग रहा था कि कब दूसरे दिन का सूरज आसमान पर चढ़ेगा और हम हवाई अड्डे पहुँचेंगे। लंकावी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बोर्डिंग पास लेते हुए ढेर सारी खुशी भी हो रही थी और यह भी लग रहा था कि अगर मलेशिया पुनः आना हुआ तब लंकावी जरूर आएँगे।

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